आभासी न्यायालय

आभासी न्यायालय

देश की अदालतों का बोझ कम करने के लिए आभासी न्यायालय बहुत उपयोगी हैं और न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, पक्षकारों और नए प्रशिक्षुओं सहित सभी के लिए फायदेमंद हैं। ये अदालतें नई पीढ़ी को कानून का अध्ययन करने और देश की न्यायिक प्रणाली को अपनी बहुमूल्य बुद्धिमत्ता देने के लिए भी प्रोत्साहित करेंगी। वर्तमान में आभासी न्यायालय केवल ट्रैफिक चालान संबंधित मामलों को संभाल रहे हैं, जिससे न केवल मुकदमेबाजी की लागत कम हुई है, बल्कि ट्रैफिक चालान मामलों के निवारण की प्रक्रिया भी सरल हुई है।

विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने शुक्रवार को लोकसभा में बताया कि वर्तमान में 28 आभासी न्यायालयों से ट्रैफिक चालान मामलों के निवारण की प्रक्रिया सरल हुई है। वास्तव में यह अवधारणा न्यायालय के संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने और वादियों को विवादों को निपटाने के लिए एक प्रभावी मार्ग प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। आभासी न्यायालय या ई-न्यायालय ऐसी अवधारणा है जिसका उद्देश्य न्यायालय में वादियों या वकीलों की उपस्थिति को समाप्त करना और मामले का ऑनलाइन निर्णय करना है।

आभासी न्यायालय द्वारा 5.26 करोड़ से अधिक मामलों का प्रबंधन किया गया है और 56 लाख से अधिक मामलों में 30 जून तक 579.40 करोड़ रुपये से अधिक का ऑनलाइन जुर्माना वसूला गया है। आभासी न्यायालय परियोजना के अंतर्गत, एक मजबूत डिजिटल बुनियादी व्यवस्था बनाने के लिए संबंधित उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र के तहत अतिरिक्त 1150 आभासी न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है। वर्ष 2020 में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनज़र, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूर्ण शक्ति का प्रयोग करते हुए देश भर के सभी न्यायालयों को न्यायिक कार्यवाही के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग का व्यापक रूप से उपयोग करने का निर्देश दिया था। 

आभासी न्यायालय एक आभासी इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म से एक न्यायाधीश द्वारा प्रशासित हो सकता है जिसकी अधिकारिता संपूर्ण राज्य तक हो सकती है और जो लगातार 24 घंटे कार्य कर सकता है। वार्ता और संगोष्ठियों के माध्यम से आभासी-न्यायालय के बारे में जागरूकता पैदा कर सुविधाओं के संबंध में जानकारी देने में मदद मिल सकती है और आभासी-न्यायालय आसानी से न्याय की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।

आभासी न्यायालय में संचालन संबंधी कुछ चुनौतियां भी हैं। खराब कनेक्टिविटी, प्रतिध्वनि और अन्य व्यवधानों के कारण सुनवाई के दौरान तकनीकी रुकावटें देखी गई हैं। हैकिंग और साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी के स्तर पर साइबर सुरक्षा भी एक बड़ी चिंता होगी। ऐसे में न्यायिक प्रणाली के लिए एक नया मंच विकसित करते समय डेटा गोपनीयता और डेटा सुरक्षा चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता है।