अब अवैध निर्माणों फायर विभाग का भी होगा पहरा, कामर्शियल कांपलेक्स, अपार्टमेंट आदि आएंगे जांच के जद में

अब अवैध निर्माणों फायर विभाग का भी होगा पहरा, कामर्शियल कांपलेक्स, अपार्टमेंट आदि आएंगे जांच के जद में

लखनऊ, अमृत विचार। जान जोखिम में डालने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर अब फायर विभाग सीधे शिकंजा कसने जा रहा है। प्रदेश भर में हुई आग की बड़ी घटनाओं के बाद नया कानून बनाया गया है। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इसके तहत अब व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पुख्ता करने वाले मानक तय किए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि कमेटी इसी महीने मानक तय करके शासन को सौंप देगी, जिसके बाद नई गाइडलाइन जारी की जाएगी।

राजधानी लखनऊ में संचालित कई होटलों में आग की घटनाओं ने दर्जनों लोगों की जान ली। इसे देखते हुए अग्रिशमन विभाग ने केंद्र सरकार के फायर सेफ्टी मॉडल बिल को लागू करने के लिए दो साल पहले मसौदा तैयार किया था। शासन से बिल को मंजूरी मिलने के बाद जनवरी में अधिनियम के तौर पर इसे लागू भी कर दिया गया। अब ऐसे भवनों के लिए सुरक्षा मानकों को पुख्ता करने वाले फायर सेफ्टी ऑफिसर की तैनाती को अनिवार्य किया जा रहा है।

इन सुरक्षाकर्मियों की योग्यता अग्रिशमन अधिकारी के बराबर ही रखी जाएगी। योग्यता तय करने के लिए एक कमेटी बनाई गई है। आग से सुरक्षा के लिए 2005 में यूपी फायर सेफ्टी एक्ट बनाया गया था। इस एक्ट में भवन स्वामियों की बजाय फायर ब्रिगेड की ज्यादा जिम्मेदारी तय की गई। हाईराइज बिल्डिंग्स का चलन आने के बाद 2015 में अधिनियम में संशोधन किया गया, लेकिन इसमें भी बिल्डिंग मालिकों की कोई खास जिम्मेदारी नहीं तय की गई। इसका फायदा उठाकर प्राधिकरण और दूसरी एजेंसियां बिल्डिंग खड़ी करने की इजाजत देते रहे और बिल्डर अपनी सुविधा के मुताबिक निर्माण करके लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते रहे।

सीएफओ स्तर के फायर सेफ्टी ऑफिसर की होगी तैनाती

डीजी फायर ने बताया की एक्ट में प्राविधान किया गया है की व्यवसायिक गतिविधियों वाले भवनों में फायर सेफ्टी ऑफिसर की पोस्टिंग करनी होगी। यह ऑफिसर जिले के सीएफओ या एफएसओ लेवल की ट्रेनिंग लेने के बाद ही तैनात होंगे। पोस्टिंग के लिए फायर सर्विस विभाग इनका टेस्ट लेकर अप्रूवल देगा। इसका खर्च बिल्डिंग मालिकों को उठना होगा।

उन्होंने ने बताया की आग लगने की सूरत में फायर सेफ्टी ऑफिसर के पास फ्लोर प्लान, मास्टर चाभी व लोगों को सकुशल बाहर निकालने की क्षमता होगी। अगर संस्थान 30 दिन के अंदर फायर सेफ्टी ऑफिसर नही नियुक्त करता है तो भारी जुर्माना लगाने के साथ सील करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।

जल्द ही योग्यता के मानक भी तय कर लिए जाएंगे। नए कानून के तहत इसका उलंघन करने वाले भवनस्वामियों के खिलाफ फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट सीधे कार्रवाई कर सकेगा- अविनाश चंद्रा, डीजी फायर सर्विस।

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