हल्द्वानी: मंगलपड़ाव से रोडवेज तक चौड़ीकरण में 20 दुकानें होंगी पूर्णतया ध्वस्त

हल्द्वानी: मंगलपड़ाव से रोडवेज तक चौड़ीकरण में 20 दुकानें होंगी पूर्णतया ध्वस्त

हल्द्वानी, अमृत विचार। नैनीताल रोड के चौड़ीकरण में 20 दुकानें पूर्णतया ध्वस्त होंगी, जबकि 81 दुकानें, होटल आंशिक प्रभावित होंगे। पूर्णतया ध्वस्तीकरण में 20 में से 12 दुकानें नगर निगम की हैं, शेष आठ दुकानों में काबिज लोगों पर मालिकाना हक के कोई भी वैध दस्तावेज मौजूद नहीं है। ऐसे में इन दुकानों, होटलों पर भी मालिकाना हक सरकार का ही माना जा रहा है। 

नगर निगम व प्रशासन मंगलपड़ाव से रोडवेज बस स्टेशन तक सड़क के बीचों-बीच से दोनों तरफ 12-12 मीटर चौड़ीकरण कर रहा है। इसके लिए सर्वे कराया गया था जिसमें 101 दुकानें, होटल वगैरह प्रभावित हो रहे थे। इनमें 20 दुकानें पूरी तरह ध्वस्त हो रही हैं, जबकि 81 प्रतिष्ठान आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त होंगे।

सर्वे में एक हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया है। 101 में से सिर्फ नौ दुकानों के स्वामी ही भूमि के मालिकाना हक के दस्तावेज दिखा सके हैं। 92 दुकानों में 28 दुकानें नगर निगम की हैं। नगर निगम के किराएदारों ने भी वर्षों से किरायेदारी अनुबंध का नवीनीकरण नहीं कराया है, किराया भी जमा नहीं किया है। शेष 64 दुकानों के स्वामियों के पास मालिकाना हक के कोई भी वैध दस्तावेज नहीं है।

ये दुकानें नजूल या अन्य भूमि पर हैं। हालांकि इन पर व्यापारी कई पीढ़ियों से काबिज हैं। इधर, प्रशासन का दावा है कि रोडवेज से मंगलपड़ाव तक सड़क न्यूनतम पांच-छह से नौ मीटर तक रह जाती है, जिससे बॉटल नेक में जाम लगता है। बेस व महिला अस्पताल होने की वजह से एंबुलेंस भी जाम में फंसती है। मरीजों की जान को खतरा बना रहता है। सड़क चौड़ीकरण के बाद जाम के झाम से निजात मिलेगी। 

सिर्फ नौ ही हैं मुआवजे के हकदार
प्रशासन के मुताबिक 101 प्रभावितों में सिर्फ नौ दुकानों के स्वामी ही मुआवजे के हकदार हैं। इन नौ में पांच ने नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराया और चार की भूमि वर्ग 1 क की है। इन दुकानों का भी आंशिक हिस्सा चौड़ीकरण की जद में आ रहा है, इसलिए प्रशासन सिर्फ इन नौ दुकानों को ही नियमानुसार मुआवजा देगा। वहीं 92 दुकानें/प्रतिष्ठान नजूल भूमि व नगर निगम की हैं, जिन पर मालिकाना हक नहीं है इसलिए इनको मुआवजा नहीं मिलेगा।

मंगलपड़ाव से रोडवेज तक चौड़ीकरण के लिए दुकानों व होटलों का सर्वे हुआ था। इनमें सिर्फ 20 दुकानें ही पूरी तरह ध्वस्त होंगी, जिनमें 12 नगर निगम व 8 नजूल भूमि पर बनी हुई हैं, जो फ्रीहोल्ड नहीं हुई है। बाकी 81 दुकानें सिर्फ आंशिक रूप से प्रभावित होंगी। 
= एपी वाजपेयी, सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी

मंडी के बाहर अतिक्रमण पर गरजी जेसीबी

मंडी समिति परिसर के बाहर हुए अतिक्रमण को प्रशासन और लोनिवि की टीम ने जेसीबी की मदद से ध्वस्त कर दिया। कार्रवाई के दौरान मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। जिससे कोई भी अतिक्रमणकारी विरोध करने के लिए सामने नहीं आया। शिवल्लपुर चुंगी से कानिया की ओर रेलवे फाटक को बंद कर दिया गया था, जिससे मार्ग में आवाजाही पूरी तरह से बंद रही।

बुधवार की सुबह एसडीएम राहुल शाह, तहसीलदार कुलदीप पांडे के नेतृत्व में कोतवाल अरुण कुमार सैनी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। इस दौरान लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने जेसीबी की मदद से पूरा अतिक्रमण ध्वस्त कर दिया। प्रशासन की चेतावनी के बाद मंडी परिसर के बाहर अधिकांश लोगों ने पूर्व में स्वयं अतिक्रमण हटा लिया था। प्रशासन ने करीब 35 अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा था।

अतिक्रमणकारियों की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं देने पर प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। एसडीएम राहुल शाह ने बताया कि फरवरी माह में इस क्षेत्र का सीमांकन कर लोनिवि की सड़क पर 35 अतिक्रमणकारी चिन्हित किए गए थे। इनमें 11 लोगों ने दुकान खोल कर व्यापार भी शुरू किया था।

बुधवार को क्षेत्र से पूरा अतिक्रमण हटा दिया गया है। साथ ही लोनिवि के अधिकारियों को अतिक्रमण न करने की चेतावनी वाले साइन बोर्ड लगाने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि उक्त क्षेत्र नगर पालिका में शामिल हो गया है। इसमें 40 दुकानें बनाई जायेंगी जो किसानों को नियमानुसार आवंटित होंगी।

ताजा समाचार

रायबरेली : साइकिल की दुकान में लगी आग, लाखों का नुकसान
आज नहीं तो कल आतंकवादियों से मिलने की कोशिश करेंगे राहुल गांधी : संजय निषाद
कानपुरवासियों को मिली आगरा-वाराणसी वंदेभारत की सौगात; सांसद ने दिखाई ट्रेन को हरी झंडी, यहां पढ़ें ट्रेन की खासियत...
Unnao: शोभा यात्रा निकालने के साथ गणेश पंडालों में हुई पूजा-अर्चना, नम आंखों से दी गई गजानन महाराज को विदाई
'…खान, आईजी बोल रहा हूं…' जालसाज ने आईपीएस अधिकारी के नाम पर कॉल कर धमकाया, रिपोर्ट दर्ज
Unnao: तेजी से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर, प्रशासन कर रहा नजरअंदाज, तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों की बढ़ी मुसीबतें