High Court : वैधानिक सहायता पॉक्सो अपराधों के पीड़ितों को सशक्त बनाने के लिए जरूरी

High Court : वैधानिक सहायता पॉक्सो अपराधों के पीड़ितों को सशक्त बनाने के लिए जरूरी

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन अपराधों के पीड़ितों को समर्थन देने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यौन शोषण के पीड़ित बच्चे नागरिकों का सबसे कमजोर वर्ग हैं। इन पीड़ितों को मानसिक आघात, सामाजिक हाशिए पर होने और संसाधनों की कमी सहित अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो न्याय पाने की उनकी क्षमता में बाधा डालते हैं, इसलिए कानूनी सहायता, चिकित्सीय देखभाल और परामर्श जैसी वैधानिक सहायता पीड़ित बच्चों को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक है। 

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कानून द्वारा गारंटीकृत सहायता प्रणालियों के अभाव में पीड़ित बच्चे सक्षम न्यायालय के समक्ष अपने मामलों को प्रभावी ढंग से नहीं रख पाते हैं। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने पैसे के लिए अपनी 14 वर्षीय बेटी की तस्करी करने वाले आरोपी राजेंद्र प्रसाद की याचिका को खारिज करते हुए की।

याची पर पुलिस स्टेशन चौबेपुर, वाराणसी में आईपीसी और पोक्सो अधिनियम की धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाये गए हैं। कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित करें कि पॉक्सो अधिनियम के तहत जमानत आवेदनों में बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा अदालतों के समक्ष प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट के उचित प्रारूप इस निर्णय में की गई टिप्पणियों और कानून के अनुसार अन्य आवश्यकताओं के अनुरूप बनाई जाएं। ऐसी रिपोर्ट तैयार करने के लिए सीडब्ल्यूसी की क्षमता निर्माण के लिए उचित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित करने का निर्देश दिया और राज्य सरकार को उपयुक्त निर्देशों के अनुपालन की नियमित निगरानी करने को कहा।

दरअसल मौजूदा मामले में पीड़िता को किसी सहायक व्यक्ति और कानूनी परामर्शदाता के अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं मिली, जिसके कारण राज्य के रिकॉर्ड में पॉक्सो अधिनियम के तहत पीड़िता के अनुदान के अधिकार की स्थिति भी स्पष्ट नहीं थी, इसलिए कोर्ट ने अपने आदेश में पॉक्सो अपराधों में जमानत आवेदनों पर विचार करने वाले न्यायालयों/मजिस्ट्रेटों की जिम्मेदारी का उल्लेख किया, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ितों को उनके अधिकार प्रदान किए जाएं और उक्त अधिनियम द्वारा प्रदत्त अधिकारों को लागू किया जाए।

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