प्रयागराज: यौन शोषण के आरोपी प्रिंसिपल को नहीं मिली जमानत
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन शोषण के आरोप में बुलंदशहर के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि वर्तमान मामले में 9 से 13 वर्ष के बीच की बच्चियों का यौन शोषण करने वाले अभियुक्त को जमानत देने के लिए उपयुक्त आधार नहीं दिखाई देता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकलपीठ ने प्रताप सिंह की याचिका को आधारहीन पाकर खारिज करते हुए पारित किया।
आरोपी के खिलाफ आईपीसी, पॉक्सो और एससी/एसटी अधिनियम की धाराओं के तहत पुलिस स्टेशन अरनिया, बुलंदशहर में मामला दर्ज किया गया। अभियुक्त पर आरोप है कि वह छात्राओं के साथ छेड़छाड़ करता था। उनके निजी अंगों को अनुचित तरीके से छूता था और उन्हें अपने मोबाइल पर 'अश्लील' सामग्री दिखाता था। आरोपियों के कथित कृत्यों के कारण ओबीसी और एससी वर्ग की 6 बच्चियों ने स्कूल छोड़ दिया। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अभियुक्त खांसी और सांस लेने की समस्या से पीड़ित है, इसलिए उसे 10 से 25 मार्च 2024 (वह अवधि, जिसके दौरान घटना घटित हुई है) के बीच आराम करने की सलाह दी गई थी। आरोपी पहले भी कैंसर का मरीज रह चुका है और भविष्य में उसके उक्त बीमारी से पुनः प्रभावित होने की पूरी संभावना है, क्योंकि वह 25 मार्च 2024 से जेल में निरुद्ध है। हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि आरोपी द्वारा प्रस्तुत किए गए चिकित्सा प्रमाण पत्र फर्जी हैं और उसे बाद में प्राप्त किया गया है।
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