हल्द्वानी: सांप के जहर के खात्मे को एंटीवेनम देगा जंगलात

हल्द्वानी: सांप के जहर के खात्मे को एंटीवेनम देगा जंगलात

अंकुर शर्मा, हल्द्वानी, अमृत विचार। अब सांप के डसने पर उसका जहर काटने के लिए जंगलात एंटीवेनम देगा। पहली बार यह व्यवस्था तराई पूर्वी वन डिवीजन में शुरू की गई है। वन डिवीजन की सभी रेंज व महत्वपूर्ण चौकियों में एंटीवेनम उपलब्ध रहेगा, जो जरूरत पड़ने पर सर्पदंश प्रभावित को दिया जाएगा, ताकि उसकी जान बचाई जा सके।

तराई पूर्वी वन डिवीजन के जंगल 82 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में नैनीताल व ऊधमसिंह नगर में फैले हुए हैं। दोनों जिलों में तराई का हिस्सा इस वन डिवीजन के दायरे में ज्यादा आता है। तराई में सर्पदंश की सबसे ज्यादा शिकायतें मिलती हैं। वन डिवीजन के अंतर्गत एक अप्रैल से अब तक कुल सात लोगों की मौत सर्पदंश से हो चुकी है।

वन अधिकारियों के अनुसार, अमूमन सर्पदंश की घटनाएं होती हैं, लेकिन ये घटनाएं दूरस्थ क्षेत्रों या सघन वन क्षेत्रों में होती हैं। जिससे प्रभावितों को समय से उपचार नहीं मिल पाता है। सर्पदंश प्रभावित को अस्पताल (जहां एंटीवेनम उपलब्ध हो) लाने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में अधिकांश मामलों में उनकी हालत बिगड़ जाती है, कभी-कभी तो मौत भी हो जाती है। इसी को देखते हुए वन विभाग ने जंगलों के बीचों-बीच रेंजों और सर्प-मानव संघर्ष के लिहाज से संवेदनशील वन चौकियों में एंटीवेनम रखने का फैसला किया है। शुरुआती चरण में तीन हजार इंजेक्शन मंगाए गए हैं, जो रेंजों में मुहैया कराए जा रहे हैं।

40 से अधिक सांपों का डेरा है तराई में  
तराई के जंगलों में अत्यधिक जहरीले सांपों का डेरा है। यहां सांपों की 40 से अधिक प्रजातियां मिलती हैं। इनमें किंग कोबरा, कोबरा, करैत, रसेल वाइपर, रेड कुकरी, अजगर जैसे खतरनाक सांप शामिल हैं। इनमें रसेल वाइपर तो इतना खतरनाक है कि इसके डसते ही कुछ ही देर में प्रभावित की हालत बिगड़ जाती है। 


वन डिवीजन में पहली बार सर्पदंश प्रभावितों को एंटीवेनम दिया जाएगा। अभी तीन हजार डोज मंगाई गई हैं, जिन्हें सभी नौ रेंज व प्रमुख वन चौकियों में रखा जाएगा। सर्पदंश की सूचना पर वन टीम तुरंत मौके पर पहुंचेगी और एंटीवेनम देगी। हालांकि इंजेक्शन डॉक्टर या मेडिकल स्टाफ ही लगाएगा।
- हिमांशु बागरी, डीएफओ, तराई पूर्वी वन डिवीजन