Unnao: गंगाघाट में चंपापुरवा और रविदास नगर बस्ती के सामने कटान का खतरा फिर मंडराया...सिंचाई विभाग ने अभी तक नहीं लिया संज्ञान

लेखपाल बोले दोनों कटान स्थलों की रिपोर्ट अधिकारियों को देंगे

Unnao: गंगाघाट में चंपापुरवा और रविदास नगर बस्ती के सामने कटान का खतरा फिर मंडराया...सिंचाई विभाग ने अभी तक नहीं लिया संज्ञान

उन्नाव, अमृत विचार। गंगाघाट में बाढ़ के दिनों में शक्ति नगर से लेकर रविदास नगर तक तेजी से कटान होती है, जिसे रोकने के लिये सिंचाई विभाग की ओर से रविदास नगर के सामने जिओ बैग लगाये गये थे, जिनमें अधिकांश जिओ बैग फट गये हैं और उनकी बालू निकल गई। बाढ़ के दिनों में बस्ती के सामने कटान हो सकता है। इसी तरह चंपापुरवा गोताखोर बस्ती के सामने भी कई सालों से रुक-रुक कर कटान हो रहा है। इधर मानसून आने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से कटान रोकने के कोई प्रबंध नहीं किये गये हैं।

रविदास नगर बस्ती के सामने कटान रोकने के लिये तीन साल पहले बैराज यांत्रिक खंड और उन्नाव शारदा नहर सिंचाई खंड ने जिओ बैग लगाये थे। विभाग ने जिओ बैग लंबे समय तक चलने की बात कही थी लेकिन पिछले वर्ष ही जिओ बैग के कपड़े फट गये थे। जिसके बाद उन्नाव शारदा नहर नेे नई तकनीक का सहारा लेते हुये बस्ती के सामने से तीन सौ मीटर दूरी तक नये और मजबूत जिओ बैग डालने के साथ ही परक्यूपाइप का कार्य कराया था। अब पुराने जिओ बैग तीन साल के भीतर ही पूरी तरह से जगह-जगह फट चुके हैं।

जिस कारण मानक विहीन डाले गये जिओ बैग खरीद पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसी तरह से सिंचाई विभाग ने कटान रोकने के लिये करोड़ों का खेल किया है। वहीं मानसून आने से पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में भारी बारिश हो रही है।

जिससे गंगा का जलस्तर बढ़ने पर बस्ती के सामने एक बार फिर कटान चालू हो सकती है, लेकिन अभी तक जिम्मेदारों ने कटान रोकने के लिये कोई कवायद नहीं की और न ही कटान स्थल का अधिकारियों ने जायजा लिया। ऐसे में बाढ़ के दिनों में एक बार फिर बस्ती में रहने वाले लोगों को कटान का दंश झेलना पड़ सकता है। इस बावत लेखपाल अशोक सैनी ने बताया कि दोनों स्थानों की कटान की रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौपेंगे।

लाखों की कीमत के डाले गये थे जिओ बैग

दो साल पहले नई तकनीक के तहत शारदा नहर उन्नाव की ओर से लगभग 50 हजार कीमत के 56 जिओ बैग डाले गये थे। जो कटान रोकने में कारगर साबित हुये थे, लेकिन इस बार कई जिओ बैग फट गये हैं। जिससे बाढ़ के दिनों में बस्ती के सामने कटान हो सकता है।

चंपापुरवा गोताखोर के सामने भी हो रही है कटान

चंपापुरवा, गोताखोर बस्ती के सामने कई सालों से धीरे-धीरे कटान होती चली आ रही है, दर्जनों किसानों की भूमिधरी जमीन कट कर गंगा में समा चुकी है। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने अभी तक कटान रोने के लिये कोई उपाय नहीं किया। जिससे इस बार बाढ़ आने पर बस्ती तक कटान पहुंच सकती है।

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