बदलते दौर का भारत

बदलते दौर का भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के बाद अपने पहले मन की बात कार्यक्रम में भारत के सांस्कृतिक गौरव के साथ देश की विविधता की चर्चा की। उन्होंने देश के 65 करोड़ से ज़्यादा मतदाताओं की भागीदारी की सराहना की। 

लगभग 30 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव, पेरिस ओलंपिक, ‘वोकल फॉर लोकल’, पर्यावरण, संस्कृत और भारतीय संस्कृति के दुनिया भर में बढ़ते प्रभाव सहित कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने उन लोगों की चर्चा की जो अपने कामों से समाज में, देश में, बदलाव ला रहे हैं। कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री ने मन की बात के जरिए लोगों के दिल को छुआ और उनकी उपलब्धियों को गिनाया। प्रेरक कहानियों को साझा किया। इन दिनों भारतीय उत्पादों की विश्व बाजार में बड़ी मांग है। हमारे देश में ऐसे यूनिक उत्पाद की कमी नहीं है। 

लोकल उत्पाद को ग्लोबल बनाने में हम पीछे नहीं हैं। जम्मू कश्मीर की सब्जी लंदन के बाजार में बिक रही है। इससे साबित होता है कि हमें अपने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देना है और वैश्विक मांग को पूरा करने में योगदान देना है। इससे देश नई ऊंचाइयां छुएगा और विकास के पथ पर अग्रसर होगा। 

प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंच पर स्थानीय शिल्प कौशल की सफलता को रेखांकित करते हुए कहा कि केरल की आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाए गए कार्थुम्बी छाते  बेहद खूबसूरत होते हैं और पूरे देश में इनकी मांग बढ़ रही है। छातों के जरिये ये अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति से भी दुनिया को परिचित करा रही हैं। गौरतलब है कि मन की बात कार्यक्रम फरवरी में लोकसभा चुनावों के कारण स्थगित कर दिया गया था। 

प्रधानमंत्री ने इसके 110वें संस्करण में कहा था कि अगली बार जब वह इस कार्यक्रम के जरिए लोगों से रुबरु होंगे तो नई ऊर्जा और नई जानकारी के साथ मिलेंगे।  मन की बात को 22 भारतीय भाषाओं, 29 बोलियों और 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित किया जाता है। इनमें फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और सिंहली भाषा शामिल हैं। 

कार्यक्रम का ब्रॉडकास्ट आकाशवाणी के 500 से अधिक केंद्रों द्वारा किया जाता है। देश में सकारात्मक माहौल बनाने में मन की बात की महत्वपूर्ण भूमिका है और मन की बात से देश का विमर्श सकारात्मक धरातल पर आएगा। वास्तव में बदलते दौर के भारत में अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है। दुनियाभर में हमारी संस्कृति का जिस तरह गौरवगान हो रहा है इसके लिए प्रधानमंत्री की अंतर्दृष्टि की सराहना की जानी चाहिए।

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