रामपुर: आम के आकार पर भी पड़ी भीषण गर्मी की मार, प्रति पेड़ करीब 10 किलो उत्पादन हुआ कम

आम का उत्पादन कम होने से बढ़े आम के दाम

रामपुर: आम के आकार पर भी पड़ी भीषण गर्मी की मार, प्रति पेड़ करीब 10 किलो उत्पादन हुआ कम

सुहेल जैदी/रामपुर, अमृत विचार। आम के आकार पर भीषण गर्मी की मार पड़ी है जिसके कारण आम का आकार घट गया है। आम का आकार घटने से एक अनुमान के मुताबिक प्रति पेड़ करीब 10 किलो आम का उत्पादन घटा है। बाजार का फंडा है कि आपूर्ति कम और मांग अधिक होने के कारण आम के दाम भी आसमान छू रहे हैं। आम आदमी के हाथों से आम दूर हो गया है। बागबान इसे कयामत की गर्मी और मधुमक्खियों का कम होना बता रहे हैं जबकि, वैज्ञानिक कहते हैं कि पर्यावरण में सुधार नहीं हुआ तब स्थित और बिगड़ सकती है। 

तहसील मिलक के ग्राम इमरतपुर मझरा जसमोली पोस्ट बबूरा निवासी हरिद्वार विश्वविद्यालय में कृषि विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विशाल गंगवार बताते हैं कि भीषण गर्मी ने इस बार सिर्फ जनजीवन ही नहीं, आम की फसल पर भी प्रभाव डाला है। आम का आकार घट गया है हालांकि, उसकी मिठास पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। तापमान की दृष्टि से भी अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभाव भी अलग-अलग देखने को मिला है। रामपुर और आसपास क्षेत्र में आम का आकार घटने के साथ फसल कमजोर हुई है। बताते हैं कि एन अनुमान के मुताबिक इस वर्ष पांच से 10 किलो तक आम का उत्पादन कम हुआ है। 

भीषण गर्मी की वजह से आम के फल का स्वाभाविक विकास नहीं हो सका है। आम्रपाली व दशहरी आम का आकार लगभग डेढ़ सेंटीमीटर तक छोटा हो गया है। दशहरी और आम्रपाली एक ही स्थान पर अधिक संगठित हो गए हैं। इससे आम के गूदे में कुल घुलनशील ठोस पदार्थ (टीएसएस) की मात्रा बढ़ गई है। पहले दशहरी और आम्रपाली का टीएसएस 16 डिग्री तक पाया जाता रहा है, लेकिन इस साल के फलों में यह 17.5 डिग्री से भी अधिक है। इस साल कृत्रिम तरीके से पकाए गए आम में स्वाद और मिठास अच्छी नहीं है। लेकिन जो पेड़ पर प्राकृतिक तरीके से पककर फल आ रहा है उसकी मिठास और स्वाद कई गुना तक बढ़ गई है।  

बोले वैज्ञानिक---

डा. बेबी तबस्सुम
प्रदूषण और वैश्विक तापमान का भारतीय आम पर बुरा असर पड़ा है। प्रदूषण के कारण आम का आकार छोटा हो गया है। वर्ष 2019 में  औसतन एक आम का वजन 250 ग्राम था, वहीं वर्ष 2023 में यह घटकर 200 ग्राम हो गया है। तापमान में वृद्धि से  फलों का विकास ठीक से नहीं हो पाता। वर्ष 2019 में आम की खेती में 30 प्रतिशत किसान रसायन इस्तेमाल कर रहे थे, जबकि वर्ष 2023 में यह संख्या बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई है। गर्मी और रसायनों के असर ने आम के उत्पादन दर को 15 प्रतिशत तक घटा दिया है- डा. बेबी तबस्सुम, सहायक प्राध्यापक राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय 

डा. विशाल गंगवार

आम का आकार तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के कारण घट गया है। पर्यावरण बिगड़ने के कारण मार्च अप्रैल में गर्मी काफी बढ़ गई थी। वह समय फल के बढ़ने का होता है। मार्च और अप्रैल में वर्षा कम होने के कारण भी फल को वास्तविक आकार नहीं मिल सका। इसके लिए जरूरी है कि सभी मिलकर पर्यावरण को बेहतर बनाएं इसके लिए अधिक से अधिक पौधरोपण करें और उनकी परवरिशत का भी ध्यान रखें- डा. विशाल गंगवार, सहायक प्राध्यापक हरिद्वार विश्वविद्यालय

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