बढ़ती विदेशी कमाई
हाल ही में आई विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, विप्रेषण के मामले में भारत अग्रणी देश बना हुआ है। विदेशों में कार्यरत भारतीयों ने 2023 में 120 अरब डॉलर की कमाई देश में भेजी थी। उसके बाद मेक्सिको, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान हैं, जिन्हें क्रमशः 66, 50, 39 और 27 अरब डॉलर मिले हैं।
गौरतलब है कि कुशल भारतीय कामगारों का सबसे बड़ा गंतव्य अमेरिका है। अन्य विकसित देशों के अलावा खाड़ी देशों में भी बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी काम कर रहे हैं। विश्व बैंक का अनुमान है कि भारत में आने वाले विप्रेषण में 2024 में 3.7 प्रतिशत और 2025 में चार प्रतिशत बढ़ने की संभावना है।
दुनिया में सबसे अधिक प्रवासी भारतीय हैं। वे विभिन्न देशों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जिसका एक संकेत हमें 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ती विप्रेषण राशि से मिलता है। अमेरिका के बाद सबसे अधिक कमाई संयुक्त अरब अमीरात से आई है, जो कुल विप्रेषण का 18 प्रतिशत है।
इसके बाद सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और कतर का स्थान है। संयुक्त अरब अमीरात और भारत के बीच अपनी मुद्राओं में लेन-देन की व्यवस्था होने से औपचारिक माध्यमों से अब अधिक विप्रेषण भेजा जा रहा है। अमीरात और सिंगापुर में यूपीआई भुगतान प्रणाली के चालू होने से कमाई भेजने का खर्च भी कम होगा और समय भी कम लगेगा। विप्रेषण के मामले में एक आशंका यह लगी रहती है कि बाहरी घटनाओं से इसमें कमी आ सकती है।
प्रवासन और विप्रेषण आर्थिक और मानवीय विकास के महत्वपूर्ण कारक हैं। प्रवासी कामगार एक ओर अपनी प्रतिभा एवं परिश्रम से दूसरे देशों के विकास को गति देते हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपने देश के विदेशी मुद्रा भंडार को समृद्ध बनाते हैं तथा अपने परिवार की उन्नति का आधार बनते हैं।
वैश्विक स्तर पर जहां कई देशों में श्रम की उपलब्धता का अभाव है, वहीं कई देशों में बेरोजगारी और कौशल की कमी है। भारत के अधिकतर कुशल कामगार अमेरिका और अन्य विकसित देशों में कार्यरत हैं तथा कम कुशल प्रवासी खाड़ी देशों में हैं। इस वितरण से बाहरी घटनाओं का असर कम होगा, इसलिए वैसी स्थिति में भी विप्रेषण में स्थिरता बनी रहेगी। ब
हुत से देश प्रबंधित प्रवासन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसका लाभ भारत जैसे देशों को मिल रहा है। विप्रेषण बढ़ना निश्चित ही उत्साहजनक है, पर हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारे कामगारों को जोखिम, शोषण, भेदभाव आदि का भी सामना करना पड़ता है।
हाल ही में कुवैत में एक इमारत में आग लगने से कई भारतीय कामगारों की मौत हो गई। वहीं इटली में एक भारतीय श्रमिक को सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया गया। इस संबंध में हमारे दूतावास और उच्चायोगों के सक्रिय हस्तक्षेप की आवश्यकता है।