CSU: वी-लॉग वर्कशाप में शामिल हुए द केरला स्टोरी के लेखक सूर्यपाल सिंह, संस्कृत में स्क्रीन राइटिंग व्लॉगिंग की दी सीख

CSU: वी-लॉग वर्कशाप में शामिल हुए द केरला स्टोरी के लेखक सूर्यपाल सिंह, संस्कृत में स्क्रीन राइटिंग व्लॉगिंग की दी सीख

लखनऊ, अमृत विचारः केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (CSU) में चल रही राष्ट्र स्तरीय वी-लॉग कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में द केरला स्टोरी के राइटर और नेशनल अवार्ड से सम्मानित सूर्यपाल सिंह शामिल हुए। इसकी अध्यक्षता परिसर निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने की। मुख्य अतिथि सूर्यपाल सिंह ने कहा कि हमें व्लाग बनाते समय स्क्रीन राइटिंग सबसे पहले लिखना होता हैं। अगर कोई भी काम अगर लगातार किया जाए तो उसका फल एक न एक दिन मिलता ही है। कुछ ऐसा ही स्टोरी राइटिंग के साथ भी होता है। निरंतर लिखने से अच्छे व्लॉग बनाए जा सकते हैं।

पांच दिवसीय इस कार्यशाला में देश के कोने-कोने से छात्र शामिल होने पहुंचे हैं। जहां स्टूडेंट्स का पहले वी-लॉग के जरिए चयन किया गया। त्रिपुरा, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड, राजस्थान, जम्मू, कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से छात्र-छात्राओं को उनकी काबीलियत के जरिए चयनित  किया गया। कार्यशाला समन्वयक डॉ. अमृता कौर ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य संस्कृति एवं संस्कृत का प्रचार-प्रसार के साथ-साथ ऐतिहासिक स्मारको का वीडियो लॉग (Vlog)  द्वारा सरल संस्कृत में परिचय एवं महत्व देना है। जिससे आमजन इसके बारे में जान सकें। इस अवसर पर मनोज मिश्रा ने छात्रों को शारीरिक व्यायाम संस्कृत माध्यम में अभ्यास करवाया गया।

ऑडियंस को बांधे रखना है जरूरी

सूर्यपाल सिंह ने बताया कि आज के टाइम पर ऑडियंस को अपनी राइटिंग से बांधे रखना काफी मुश्किल है। ऐसे में कुछ अलग और कुछ यूनिकनेस राइटिंग चाहिए होती है। व्लाग बनाते समय कई बार कई सीन को एकत्रित करके एक बाइट बनती हैं। ऐसे में लेखन के दौरान अपनी ऑडियंस विषय की शुरुआत से उसके अंतिम विषय तक जाना चाहिये। लेखन कुछ भी हो वह रचनात्मकता से जुडा होना चाहिये। सोशल मीडिया के प्रख्यात एडीटर दिनेश एस यादव ने भी कहानी संग्रह को लेकर प्रशिक्षण दिया। वी-लॉग के प्रकार के बारे में विस्तार से जानकारी दी। छात्र नई नई तकनीक से व्लाग बनाकर भारतीय सभ्यता और संस्कृति के बारे में संस्कृत भाषा में बनाये गये व्लाग आमजन को प्रेरित करेंगे।

स्टूडेंट्स ने सुनाई शॉर्ट स्टोरी

संस्कृत और संस्कृति को बांधते हुए स्टूडेंट्स ने अपनी-अपनी स्टोरी लिखी और काफी मरोरंजक ढ़ंग से उसे पेश किया। इस दौरान स्टूडेंट्स को सही दिशा देते हुए मुख्य वक्ताओं द्वारा उनका मार्ग दर्शन भी किया गया। कुछ स्टूडेंट्स से बात कि तो उन्होंने बताया कि वे संस्कृत को लोगों के बीच प्रमुखता से लाना चाहते हैं। कई सारी ऐसी सच्चाई हैं जो लोगों को संस्कृत न आने की वजह से उनके सामने नहीं आ पाती हैं। संस्कृत एक भाषा नहीं बल्कि सार है। दूसरी भाषाओं की तरह इसमें काफी वैराइटी है। उपमिता दास ने कहा कि उन्हें इस कार्यशाला के माध्यम से काफी कुछ सीखने को मिला है कि किस तरह से संस्कृत और वी-लॉग को एक करके एक अलग कंटेंट तैयार किया जा सकता है।

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