Unnao: परिवाहन विभाग के दावे हवा-हवाई हो रहे साबित...यात्री टूटी बसों में सफर करने को मजबूर, अग्निशमन यंत्र भी नहीं

अग्निशमन यंत्र, न टूल किट, फास्ट एंड बॉक्स भी पड़े बसों में खाली

Unnao: परिवाहन विभाग के दावे हवा-हवाई हो रहे साबित...यात्री टूटी बसों में सफर करने को मजबूर, अग्निशमन यंत्र भी नहीं

उन्नाव, अमृत विचार। लाखों का आय देने वाली रोडवेज बसों में परिवाहन विभाग को यात्रियों की सुविधा व सुरक्षित यात्रा कराने के विभाग की ओर से तमाम दावे खोखले साबित हो रहे हैं। रोडवेज बसों में मेडिकल फर्स्ट एड किट तो दूर उनके बॉक्स तक गायब हैं। अग्निशमन यंत्र भी नहीं लगे हैं। साथ ही स्टेपनी और टूल किट तो भूल ही जाईये, ऐसे में अगर कोई हादसा होता है, तो यात्रियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

विभागीय अधिकारी बसों के रंगाई पोताई करके वेल मेंटेन होने का दावा करते हो, लेकिन रोडवेज की करीब 60 प्रतिशत बसों में सुरक्षा के इंतजाम नदारद है। उन्नाव डिपो से परिवहन विभाग के पास 95 रोडवेज बसें हैं। जिनमें 26 बसें नई आयी हैं और 69 बसें पहले से ही थीं। 

जिसमें परिवाहन विभाग को प्रतिदिन करीब 10 लाख रुपये की आय होती हैं। बसें उन्नाव से मथुरा, गोरखपुर, अयोध्या, कानपुर, लखनऊ, दिल्ली के अलावा जनपद के पुरवा, बिछिया, मंगतखेड़ा, कालू खेड़ा, बीघापुर व बांगरमऊ सहित अन्य लोकल रूट पर दौड़ाई जा रही है। विभाग के अनुसार रोजाना 8 से 9 हजार यात्री बसों से यात्रा कर रहे हैं। 

इसके बावजूद बसों को बदहाल स्थिति में संचालित किया जा रहा है। रविवार को बस चालकों व कंडेक्टरों से बसों में सुरक्षा के इंतजाम पूछने पर तो मानो ऐसा लगा कि उनका दर्द पूछ लिया हो। वह खुद बसों में ले जाकर खामियां गिनाने लगे। एक ड्राइवर ने फर्स्ट एड बॉक्स दिखाते हुए बताया कि सालों से यह बस चला रहा हूं, लेकिन बॉक्स रखने के लिए कभी भी दवाएं व मरहम पट्टी नहीं दी गई। 

करीब 10 बसों की जायजा लिया गया, जिसमें फर्स्ट एड बॉक्स मिला उसमें दवाएं नहीं मिलीं, तमाम बसों में बॉक्स ही गायब मिला। एक चालक ने अपनी बस दिखाते हुए बताया कि गाड़ियों में टूल किट व स्टेपनी अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। लेकिन किसी बस में यह उपलब्ध नहीं है। विभाग से मांगों तो जिम्मेदार कहते हैं, कि जहां गाड़ी खराब होगी वहीं छोड़ देना।

बोले एआरम

रोडवेज की अधिकांश बसों में आग बुझाने वाले अग्नि शमन यंत्र व मेडिकल फर्स्ट एड किट लगे है। जिस बसों में नहीं है उनमें जल्द लगवाया जाएगा।- गिरीश चंद्र वर्मा, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक

रास्ते में बस पंचर होने पर बस छोड़ना हुई मजबूरी

विभागीय अधिकारियों के प्रताड़ना से चालक व परिचालक परेशान हैं। एक चालक ने बताया कि विभाग की करीब 60 प्रतिशत बसों में स्टेपनी व टूल किट नहीं है। जहां जंगल व कस्बे में बस पंक्चर हो जाती है। उसे वहीं छोड़ना हम लोगो की मजबूरी बन जाती है। अगर हमनें लोगों ने पंक्चर बनवा भी लिया तो खर्च हुए रुपये का विभाग से मिलने में मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। विभाग के जिम्मेदार कहते हैं, कि पंक्चर बनवाने की रसीद लाओ, तब भुगतान मिलेगा। अब उन्हें कौन समझाए कि पंक्चर बनाने वाला रसीद नहीं देता है।

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