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यूपी में इंजीनियरिंग कॉलेजों का हाल देखिए, एडमिशन से पहले फैकेल्टी किस स्तर की, आसान नहीं जानकारी, शैक्षिक गुणवत्ता भी चौपट
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अमृत विचार लखनऊ। यूपी के निजी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट कॉलेजों में बच्चे के प्रवेश से पहले अभिभावक उनकी वेबसाइट पर ये जानना चाहें कि उनका बच्चा जिस कॉलेज में प्रवेश ले रहा है वहां के शिक्षक कैसे हैं और पढ़ाई की गुणवत्ता क्या है? तो जानकारी करना आसान नहीं होगा। बड़ी बात ये है कि ये कॉलेज जिस डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं उसी विश्वविद्यालय की ओर से जारी गाइडलान का पालन तक नहीं करते हैं। विश्वविद्यालय की ओर से समय-समय पर कॉलेज प्रबंधनों को इस बात की चेतावनी दी जाती है कि वह अपनी वेबसाइट पर पूरा ब्योरा अपलोड करें ताकि अभिभावकों को आसानी से जानकारी मिल जाये लेकिन अधिकांश कॉलेजों की मनमानी जारी है। इन कॉलेजों का मालिक कोई सत्ता का करीबी है तो कोई ऊंची पहुंच के चलते छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है।
अधिक वेतन न देने पड़े इसलिए नियमों की अनदेखी
कई निजी कॉलेज फीस तो मोटी लेते हैं कि लेकिन अच्छे शिक्षकों की वह अपने यहां तैनाती नहीं करते ये कॉलेज प्रबंधन प्रचार प्रसार में भी आगे रहते हैं। इनकी वेबसाइट पर फैकेल्टी का बयोरा नहीं होता है। यदि ब्योरा अपलोड भी किया जाता है तो पूरा डाटा फेक होता है। वास्तविक रूप से पढ़ाने वाले शिक्षक अलग ही होते हैं, इन शिक्षकों का वेतन भी 15 से 18 हजार के बीच होता है।
वेतन की भी नहीं होती जांच
एआईसीटीई गाइडलाइन का पालन नहीं
एआईसीटीई की गाइडलाइन के मुताबिक आईआईटी सहित सभी इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में पढ़ाने वाले स्टाफ के लिए 8 मॉड्यूल सर्टिफिकेट कोर्स को अनिवार्य कर दिया है। इस कोर्स को किए बिना किसी भी उम्मीदवार को कॉलेजों में फैकल्टी में नियुक्त नहीं किया जाएगा। लेकिन निजी कॉलेज प्रबंधन ज्यादा वेतन देने से बचने के लिए योग्य फैकेल्टी का चयन नहीं करते हैं। इसका सीधा असर शैक्षिक गुणवत्ता पर पड़ रहा है।
एकेटीयू ने पहले भी पकड़े हैं फर्जी शिक्षक
एकेटीयू ने अलग-अलग कॉलेजों में ऐसे शिक्षकों को भी पकडा था जो वास्तविक रूप से कॉलेजों में तैनात ही नहीं थे। सूची सार्वजनिक हुई तो हड़कंम मच गया। 2016-17 में 500 से अधिक निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में फर्जी शिक्षक होने का खुलासा हुआ था। मामले का शासन ने भी संज्ञान लिया था। लेकिन मामला दब गया था।
कॉलेजों में ये है दिक्कतें
- - शैक्षिक गुणवत्ता न होने से छात्रों का भविष्य दांव पर
- - अप्रशिक्षित फैकल्टी और सुविधाओं की भी कमी
- - अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक फीस
- - प्लेसमेंट करवाने में कॉलेज फिसड्डी
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कोट........
प्रवेश से पहले हर बच्चे व अभिभावक का अधिकार है कि कॉलेज के बारे में उसे पूरी आनलाइन जानकारी मिल सके। योग्य फैकेल्टी नहीं होगी तो शैक्षिक गुणवत्ता पर असरपड़ता है। इस बारे में हमारी ओर से निजी कॉलेज प्रबंधनों को नोटिस दी गई है। यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर भी कॉलेजों की जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है। जो कॉलेज मनमानी कर रहे हैं उनके खिलाफ भी संबद्धता निरस्त करने के लिए एक्शन लिया जायेगा।
प्रो. जेपी पाण्डेय कुलपति एकेटीयू