बरेली: लंबी दूरी की ट्रेनों में लगे आईसीएफ कोच यात्रियों के लिए बने मुसीबत का सबब, आए दिन एसी काम नहीं करने की आ रहीं शिकायतें
बरेली, अमृत विचार। जंक्शन से चलने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों में लगे आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) कोच यात्रियों के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। इनमें आए दिन एसी काम नहीं करने की शिकायतें आ रही हैं।
इंदौर जाने वाली महाकाल एक्सप्रेस और मुंबई जाने वाली ( लोकमान्य तिलक टर्मिनस) दादर एक्सप्रेस में यह समस्या आम है। यात्रियों की इस दिक्कत को देखते हुए दोनों ट्रेनों में एलएचबी रेक लगाने का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।
बरेली जंक्शन से ओरिजनेट होने वाली महज एक ट्रेन आला हजरत को एलएचबी रेक के साथ चलाया जाता है। दादर और महाकाल एक्सप्रेस साप्ताहिक होने के कारण एक ही रेक से चलाई जाती हैं। स्टेशन अधीक्षक भानु प्रताप सिंह के अनुसार प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेजा जा चुका है। रेक प्राप्त होने के बाद ही इसकी संरचना में बदलाव किया जा सकता है। एसी आदि का कार्य ट्रेन एंड लाइटिंग विभाग देखता है।
बरेली से आगरा के बीच सबसे ज्यादा शिकायतें
महाकाल, दादर एक्सप्रेस दोनों अलीगढ़ और आगरा होते हुए गुजारी जाती हैं। बरेली से आगरा फोर्ट तक 267 किलोमीटर का सफर तय करने में इस ट्रेन को करीब आठ घंटे लग जाते हैं। सिंगल लाइन के चलते ट्रेन औसत रफ्तार 33 किमी प्रतिघंटा होती है। यही वजह है कि सबसे ज्यादा शिकायतें बरेली से आगरा के बीच आती हैं। पुराने आईसीएफ में सेल्फ जेनरेशन तकनीक के जरिए विद्युत आपूर्ति होती है। ऐसे में जितनी रफ्तार कम होगी, उतनी ज्यादा एसी की दिक्कत होती है।
इसलिए एचलबी रेक है आईसीएफ से बेहतर
एलएचबी रेक लगने से एसी की समस्या इसलिए खत्म हो जाएगी, क्योंकि इसमें पॉवर कार लग होती है। साथ ही हेड ऑन जेनरेशन के जरिए विद्युत आपूर्ति होती है, जिसका रफ्तार का कोई लेना देना नहीं होता। लिहाजा, अगर एलएचबी रेक लग जाए तो कम रफ्तार के कारण होने वाली एसी कूलिंग की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाएगी। फिलहाल, एलएचबी रेक प्राप्त होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे।
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