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Russia Ukraine War: रूस ने यूक्रेन के परमाणु संयंत्र पर किया कब्जा, गोलीबारी के बाद विकिरण नहीं
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कीव। रूसी सैनिकों ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर आधी रात को किए गए हमले के बाद कब्जा कर लिया है। इस हमले के दौरान वहां पर आग लग गई थी जिसको लेकर पूरी दुनिया में कुछ समय के लिए परमाणु विकिरण से तबाही होने की चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र …
कीव। रूसी सैनिकों ने यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर आधी रात को किए गए हमले के बाद कब्जा कर लिया है। इस हमले के दौरान वहां पर आग लग गई थी जिसको लेकर पूरी दुनिया में कुछ समय के लिए परमाणु विकिरण से तबाही होने की चिंता बढ़ गई थी। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन के अधिकारियों ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि शुक्रवार के हमले के बाद दमकल कर्मियों ने आग को बुझा दिया है और कोई विकिरण नहीं हुआ है।
इस बीच, रूस द्वारा यूक्रेन के विभिन्न शहरों पर हमले जारी हैं। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफे मारियानो ग्रोसी ने यूक्रेन के दक्षिणी शहर इनेरहोदर स्थित जापोरिजिया परमाणु संयंत्र पर हमले के बारे में कहा कि रूसी ”मिसाइल” प्रशिक्षण केंद्र पर गिरा न कि वहां मौजूद छह रिएक्टरों में से किसी पर। इस हमले ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी और आशंका पैदा हो गई कि वर्ष 1986 में हुए चर्नोबिल हादसे से भी बड़ी आपदा पैदा हो सकती है।
ग्रोसी ने हमले के बाद कहा कि केवल एक रिएक्टर 60 प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि आग से दो लोग झुलस गए हैं। हालांकि, यूक्रेन के सरकारी परमाणु संयंत्र परिचालक एनेरहोतम ने बताया कि तीन यूक्रेनी सैनिकों की मौत हुई है जबकि दो अन्य घायल हुए हैं।
अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के प्रवक्ता लॉन कीर्बि ने कहा, ”यह प्रकरण रेखांकित करता है कि कितनी लापरवाही के साथ रूसियों ने अकारण हमला किया है।” संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में यूक्रेन के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत सर्गेई किस्लित्सिया ने कहा कि आग रूसी गोलाबारी का नतीजा था और उन्होंने रूस पर ‘परमाणु आतंकवाद’ का आरोप लगाया।
वहीं, इस हमले से 1986 के चर्नोबिल परमाणु दुघर्टना की याद ताजा हो गयी और उससे भी भयावह स्थिति की आशंका पैदा हो गई। परमाणु विशेषज्ञों ने चेतावनी देते हुए कहा कि तकनीशियनों, प्रबंधकों की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि परमाणु संयंत्र सुरक्षित तरीके से चलते रहे। इस बीच, पूर्वी यूरोप और स्कैंडिवियन देशों में विकिरण की स्थिति में मददगार आयोडिन टैबलेट की मांग बढ़ गई है।
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