सियासी समीकरण बना उलझन, सोमवार को घोषित होंगे भाजपा जिलाध्यक्ष, कानपुर मंडल के जिलों में व्यापक परिवर्तन के संकेत

विशेष संवाददाता, कानपुर। भाजपा (यूपी) के जिलाध्यक्षों की सूची पर एक बार फिर मंथन शुरू हो गया है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी के बाद सोमवार तक सूची जारी की जा सकती है। कुछ जिलाध्यक्षों के नाम फाइनल किए जाने में जातीय समीकरण और भ्रष्टाचार को लेकर निजी शिकायतों के साथ ही जनप्रतिनिधियों की पसंदगी और नापसंदगी का भी सवाल उठा था। कार्यकाल पूरा करने वाले अध्यक्षों का हटना तय है पर जिनका कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है और उनके खिलाफ शिकायतें आदि नहीं हैं तो पार्टी ऐसे जिलाध्यक्षों को रिपीट भी कर सकती है। पार्टी के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि नये जिलाध्यक्षों की सूची सोमवार तक आ सकती है। समस्त औपचारिक खानापूरी सम्पन्न हो चुकी है।
पार्टी की सेंट्रल लीडरशिप ने प्रदेश नेतृत्व की सूची सहमति देते हुए हू-ब-हू वापस लौटा दी है। पहली सूची में कानपुर-बुंदेलखंड के सभी संगठन के लिहाज जिलों के अध्यक्षों के नाम होंगे। पार्टी का नजरिया है कि आगामी पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिहाज से यह पूरा साल संगठन को मजबूत करने में बीतेगा। इन चुनाव में भाजपा न पुराना प्रदर्शन दोहराना चाहती है बल्कि प्रदर्शन और बेहतर करने के पक्ष में है। जातीय समीकरण का संतुलन साधने के चक्कर भाजपा संगठन के चुनाव में बसपा की तर्ज पर है यानी जितनी जिसकी हिस्सेदारी उतनी उसकी भागीदारी। यूपी में सबसे ज्यादा जिलाध्यक्ष पिछड़ा वर्ग के होंगे। फिर महिलाओं और अनुसूचित जाति का नंबर आता है। पिछड़ों के फिलहाल 36 जिलाध्यक्ष बताए जाते हैं।
नयी सूची में यह संख्या बाकी जातियों और महिलाओं के समायोजन के चलते घटकर 30 भी हो सकती है। कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के जिले फतेहपुर जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल पर अनुशासन की तलवार गिरना तय माना जा रहा है। जबकि कानपुर उत्तर जिला के अध्यक्ष दीपू पांडे उम्र के फेर में जा सकते हैं। वहीं प्रदर्शन के आधार कानपुर ग्रामीण क्षेत्र अध्यक्ष दिनेश कुशवाहा की जगह महिला के नाम पर विचार किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है। दक्षिण जिला के शिवराम सिंह फिलहाल सेफ बताए जा रहे हैं। इस सीट पर महिलाओं में रीता शास्त्री दौड़ में सबसे आगे हैं। कानपुर देहात की कमान पिछड़ी जाति को सौंपी जा सकती है। अनुसूचित जाति और महिला जिलाअध्यक्षों का नाम की चर्चा के कारण नये चेहरे लाए जा सकते हैं।
कानपुर-बुंदेलखंड में चार जिलों के संगठन की कमान महिलाओं के हाथ में आ सकती है। जिलाध्यक्षों की सूची जारी होने के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। इसमें क्षेत्र अध्यक्ष प्रकाश पाल, एमएलसी मानवेंद्र सिंह का नाम चर्चा में है। कन्नौज विधायक समाज कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण पार्टी का यूपी में दलित चेहरा हो सकते हैं। नयी टीम बनने में तीन महीने कम से कम लग सकते हैं। भाजयुमो, ओबीसी मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, किसान मोर्चा और महिला मोर्चा में नये प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जा सकते हैं। पार्टी की ओर से सभी 7 मोर्चों में नए प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि यह साल मजबूत संगठन ढांचा खड़ा करने में लग सकता है। फिलहाल सियासी समीकरण में उलझने के कारण सूची जारी करने में विलम्ब हुआ है।