Kanpur: हाईकोर्ट ने उम्रकैद को 10 साल कारावास में बदला...50 रुपये के विवाद में चाकू से की थी हत्या, जानिए पूरा मामला

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने हत्या में सुनाई थी उम्रकैद की सजा

Kanpur: हाईकोर्ट ने उम्रकैद को 10 साल कारावास में बदला...50 रुपये के विवाद में चाकू से की थी हत्या, जानिए पूरा मामला

कानपुर, अमृत विचार। 50 रुपये के विवाद में पार्टनर को चाकू मार कर मौत के घाट उतारने वाले युवक को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कानपुर की कोर्ट में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दोषी युवक ने फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 

हाईकोर्ट के दो सदस्यीय न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि दोषी का इरादा मृतक पर दबाव डालना था न कि उसे शारीरिक चोट पहुंचाना। हाईकोर्ट ने दोषी को गैरइरादतन हत्या की धारा में दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई। 

अजीज व सलीम कभी अलग-अलग व कभी संयुक्त रूप से गोश्त बेंचने का काम करते थे। एक दिन दोनों के बीच 50 रुपये को लेकर विवाद हो गया था। मामले को सुलझाने के लिए सलीम ने अजीज को अपने घर बुलाया। बातचीत के दौरान सलीम ने अजीज पर घर में रखी चाकू से वार दिया था, जिसमें अजीज की मौत हो गई थी। अजीज के परिजनों ने सलीम पर हत्या की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने सलीम को हत्या में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास व तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। सलीम ने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता व मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ में हो रही थी। दो सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच पूर्व में कोई दुश्मनी नहीं थी। 

बातचीत के दौरान केवल क्षण भर के आवेश और उकसावे में बिना परिणाम जाने अपीलकर्ता ने पेट में चाकू घोंप दी। जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि आवेश के एक क्षण में घटी घटना से अपीलकर्ता के पास हत्या करने का कोई पूर्व नियोजित इरादा नहीं था और हो सकता है कि उसे अपने कार्यों के घातक परिणामों की ऐसी उम्मीद ना रही हो। जिस पर यहां आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत कोई अपराध नहीं बनता है। 

अपीलकर्ता का इरादा संभवत: मृतक पर दबाव डालना था, न कि उसे शारीरिक चोट पहुंचाना। कोर्ट ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता के इरादे, घटना के तरीके, प्रयुक्त हथियार और चोट की प्रकृति को देखते हुए अभियुक्त के कृत्य को आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के अंतर्गत रखा जा सकता है। खंडपीठ ने अपीलकर्ता को 10 साल की सजा सुनाई।

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