तीस साल की संतोषजनक सेवा के बाद कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का हकदार :हाई कोर्ट 

तीस साल की संतोषजनक सेवा के बाद कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का हकदार :हाई कोर्ट 

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लाभ की पात्रता को स्पष्ट करते हुए कहा कि सीसीएस (पेंशन नियम) 1972 के नियम 48 के तहत एक सरकारी कर्मचारी को 30 साल की सेवा पूरी करने के बाद स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त होने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए एक आवश्यक शर्त यह है कि उसे सेवाकाल के दौरान निलंबित न किया गया हो। कोर्ट ने आगे कहा कि नियम 48 के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दावा करने वाले कर्मचारी ने अगर 30 साल की सेवा संतोषजनक ढंग से पूरी की है और अपनी सेवा अवधि के दौरान वह कभी निलंबित नहीं हुआ है तो उसे उक्त सेवानिवृत्ति का अधिकार है। कोर्ट ने इस संबंध में नियोक्ता के हस्तक्षेप को स्पष्ट करते हुए कहा कि नियम 48ए(2) नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की स्वीकृति को आवश्यक बताता है जबकि नियम 48 में सेवानिवृत्ति के लिए नियोक्ता की अनुमति आवश्यक नहीं है। 

वर्तमान मामले में याची के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की प्रभावी तिथि के काफी बाद शुरू की गई थी। याची ने सितंबर 2013 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का अनुरोध किया था जबकि विभागीय आरोप पत्र 10 अक्टूबर 2013 को जारी किया गया। अंत में मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने  डाकघर,बस्ती के अधीक्षक पद पर कार्यरत डॉ. शिवपूजन आर. सिंह की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के खिलाफ दाखिल सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, इलाहाबाद के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें याची के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया था।

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