नीट: मेरिट में खेल से निराश युवा छोड़ेंगे डॉक्टर बनने का ख्वाब

नीट: मेरिट में खेल से निराश युवा छोड़ेंगे डॉक्टर बनने का ख्वाब

बरेली, अमृत विचार। नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) में धांधली से डॉक्टर बनने का सपना देख रहे छात्रों में निराशा घर कर गई है। जिस तरह से मेरिट उच्च रही है, उससे उन्हें भविष्य में उनका डॉक्टर बनना मुश्किल लग रहा है। ऐसे में छात्र अब नीट से दूरी बनाकर दूसरी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने की बात कह रहे हैं।

एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) की ओर से आयोजित नीट की मेरिट में खेल से छात्रों में गुस्सा है। छात्रों और और उनके अभिभावकों का कहना है कि नीट परीक्षा में हर साल मेरिट को असाधारण रूप से उच्च स्तर पर ले जाया जा रहा है। यही वजह है कि छात्र दूसरी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों की बात कर रहे हैं। 

कोचिंग के पढ़ने वाले राहुल कुमार ने बताया कि वह तीन साल से मेहनत कर रहे हैं, लेकिन इस साल गड़बड़ी की वजह से उनका सपना टूट गया। अब लगता है कि उन्हें दूसरे विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए। छात्रा प्रियंका ने कहा हर साल मेरिट का खेल चल रहा है। उच्च मेरिट लाने के बावजूद भी काउंसलिंग में अच्छा कॉलेज नहीं मिल पा रहा है। उन्हें अपनी मेहनत का फल नहीं मिल रहा है। अब घर वालों से चर्चा कर निर्णय लिया है कि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तरफ रुख करेंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की चिंता और नाराजगी को देखते हुए यह स्पष्ट है कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो कई होनहार छात्रों को अपनी दिशा बदलनी पड़ेगी। यदि इस तरह की अनियमितताएं जारी रहीं तो तो यह निश्चित रूप से देश के चिकित्सा शिक्षा के भविष्य पर बुरा असर डाल सकता है। युवा डॉक्टरों की नई पीढ़ी को तैयार करने के लिए आवश्यक है कि परीक्षा प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाया जाए।

क्या बोले विद्यार्थी
डॉक्टर बनने के लिए 11वीं कक्षा में बायोलॉजी का प्रमुख विषय के रूप में चयन किया। कोचिंग और सेल्फ स्टडी कर परीक्षा दी। पिछले दो साल के प्रश्नों के प्रारुप के आधार पर अध्ययन किया। परिणाम जारी होने के बाद 575 नंबर आए लेकिन काउंसिलिंग में कॉलेज मिलना मुश्किल है। अब दूसरी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने का निर्णय लिया है। - अभिषेक सिंह, राजेंद्र नगर

इस साल 12वीं कक्षा में हूं। नीट की तैयारी को लेकर घर पर चर्चा की, लेकिन इस साल हाई रैंकिंग आने से आत्मविश्वास में थोड़ी कमी आ रही है। 600 नंबर लाकर भी अगर कालेज नहीं मिले तो इससे बेहतर है कि राज्य और अन्य केंद्र स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में 160 के स्कोर के साथ सीधे नौकरी करूं।- ललित मिश्रा, वीर सावरकर नगर

एनटीए को समझना चाहिए की देश में वैसे ही डाक्टरों की कमी है। सरकारी कॉलेजों में सीट पूरे देश में सिर्फ 52 हजार हैं। इसमें एनटीए की मंशा निजी मेडिकल कॉलेजों को फायदा पहुंचाने की लग रही है। एनटीए की ओर से ऐसा करने से भविष्य में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चा पढ़ने के बजाय 12वीं से नौकरी की तरफ दौड़ रहा है।- भूपेंद्र कुमार, संजय नगर

11वीं कक्षा से ही तैयारी कर रहा हूं। नीट परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन रहे, इसलिए हजारों रुपये कोचिंग में फीस भी दी। परीक्षा में 610 नंबर पर 33 हजार रैंक दिखा रहा है। काउंसिलिंग में काॅलेज नहीं मिलेगा, इस बात को लेकर परेशान हूं। अगर पता होता तो इस बार परीक्षा देता ही नहीं।- दिलीप सिंह

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