Bareilly News: राजनीतिक दलों को चंदा दिया तो चेक नंबर, आईएफसी कोड भी होगा बताना

ट्रस्ट, व्यावसाई, फर्म, कंपनी का आडिट कराने पर कारण भी बताना होगा

Bareilly News: राजनीतिक दलों को चंदा दिया तो चेक नंबर, आईएफसी कोड भी होगा बताना

सुरेश पांडेय, बरेली, अमृत विचार। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में आयकर दाताओं को सावधानी बरतनी होगी। सरकार रिटर्न भरने वाले, आयकर की छूट लेने वालों की जानकारी आईटीआर के माध्यम से जुटा रही है। 

इस बार आईटीआर दाखिल करने में यदि आपने किसी राजनीतिक पार्टी को चंदा दिया है तो कितनी राशि किस बैंक में जमा की है। उसका पूरा ब्योरा देना होगा। सरकार ने पैन से आधार को लिंक करा दिया है, इसलिए अब वित्तीय लेनदेन संबंधी कोई भी जानकारी सरकार से छिपी नहीं है। वह जब चाहे चेक कर सकती है।

इस बार आयकरदाता के जितने भी बैंक अकाउंट हैं, सभी की डिटेल देनी होगी। पहले लोग दो अकाउंट नंबर देकर पल्ला झाड़ लेते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं चलेगा। वेतनभोगियों को मार्जिनल रिलीफ भी इस बार दी गई है। आयकर रिटर्न भरने की अंतिम 31 जुलाई है। लेट फीस के साथ 31 दिसंबर तक आईटीआर भरा जा सकता है।

इस बार रिटर्न भरने में नए बदलाव किए गए हैं। इस बार आईटीआर भरने में यह पूछा जा रहा है कि किस सेक्शन के तहत आईटीआर फाइल होना है और उसकी ड्यू डेट क्या है। वर्ष 2024-25 में आईटीआर दाखिल करने को नई टैक्स रीजीम कर दी है। व्यावसाई के लिए भी यही व्यवस्था है, लेकिन यदि वह पुरानी व्यवस्था में जाता है तो उसे 10-आईईए फार्म भरना होगा, लेकिन उसे यह लाभ जीवन में एक बार ही मिल सकेगा। जबकि वेतनभोगी जब चाहे पुरानी और नई रीजीम में आईटीआर भर सकता है। नई व्यवस्था में 31 जुलाई के बाद रीजीम में बदलाव नहीं हो सकेगा।

आडिट का कारण भी आईटीआर में दर्ज करना होगा
सीए अखिल रस्तोगी बताते हैं कि पहले भी फर्म, कंपनी, ट्रस्ट और व्यावसाई किसी न किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट से आडिट कराते थे, लेकिन अब उन्हें आडिट कराने का कारण बताते हुए उसे आईटीआर में दर्ज कराना होगा। आडिट का यूडीआईएन निकलेगा। इसे और आडिट की रिसीट का नंबर आईटीआर में दर्ज होगा। पहले यह नहीं होता था।

वेतनभोगी को मिलेगा लाभ
आईटीआर भरने में इस बार वेतनभोगी कर्मचारी को लाभ मिलेगा। यानी जितनी आय बढ़ेगी, उतना ही टैक्स देना होगा। पहले यदि पांच लाख सौ रुपये आय होती थी तो सौ रुपये बढ़ने पर व्यक्ति को 14 हजार का टैक्स देना पड़ता था। इस बार सेक्शन 87 ए में मार्जिनल रीलिफ दी गई है। इससे यह लाभ होगा कि जितनी इनकम बढ़ी है, उतना ही टैक्स देना होगा।

सीए अखिल बताते हैं कि राजनीतिक पार्टियों को चंदा पहले भी दिया जाता था और लोग छूट भी लेते थे। 80 जीजीसी के तहत चंदा देने की कोई लिमिट नहीं है। पहले लोग यह बता देते थे कि उन्होंने अमुक पार्टी को इतनी राशि चंदे में दी है और सरकार इतने पर ही चंदा देना मान लेती थी।

सरकार के पास भी कितनी राशि दी, कम दी और ज्यादा की छूट ले रहे हो, इसे चेक करने का कोई तरीका नहीं था, लेकिन अब सरकार ने सभी कुछ चंदा देने वाले व्यक्ति से मांग लिया है, ताकि उसका मिलान किया जा सके। जिसको चंदा दिया है उसका किस बैंक में खाता है। उसका नंबर, बैंक का आईएफसीआई कोड, आरटीजीएस किया तो उसका डिटेल और तारीख भी बतानी होगी।

विकलांगों और आश्रितों को भी देना होगा ब्योरा
इंकम टैक्स की धारा 80डीडी विकलांग के आश्रित और 80 यू स्वयं विकलांग के लिए है। पहले लोग केवल हैडीकैप्ट बताकर आयकर में छूट ले लेते थे। लेकिन अब सरकार ने उनका भी डिटेल मांग लिया है। सीए अखिल रस्तोगी बताते हैं अब विकलांग कौन है। उससे रिश्ता क्या है। उसका पैन और आधार भी दर्ज करना होगा।

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