मुरादाबाद : 20 प्रतिशत उछला हिजाब का बाजार, स्टॉक घटा

मुरादाबाद : 20 प्रतिशत उछला हिजाब का बाजार, स्टॉक घटा

मुरादाबाद/अमृत विचार। कर्नाटक का हिजाब विवाद चाहे जब सुलझे, लेकिन मुरादाबाद का बाजार उछल पड़ा है। सड़क-सरकार और कोर्ट-कचहरी में हिजाब विवाद का शोर है, जबकि यहां छोटी बच्चियों में भी हिजाब का क्रेज बढ़ गया है। इन दिनों हिजाब की बिक्री 20 प्रतिशत बढ़ गई है। फैक्ट्री से लेकर थोक कारोबारियों तक मांग के …

मुरादाबाद/अमृत विचार। कर्नाटक का हिजाब विवाद चाहे जब सुलझे, लेकिन मुरादाबाद का बाजार उछल पड़ा है। सड़क-सरकार और कोर्ट-कचहरी में हिजाब विवाद का शोर है, जबकि यहां छोटी बच्चियों में भी हिजाब का क्रेज बढ़ गया है। इन दिनों हिजाब की बिक्री 20 प्रतिशत बढ़ गई है। फैक्ट्री से लेकर थोक कारोबारियों तक मांग के अनुरूप बुर्का और हिजाब नहीं मिल पा रहा है।

बुधवार को शहर का साप्ताहिक पक्का बाग का बाजार इसका नजीर बना, 50 दुकानों की बाजार में हजारों महिलाओं और युवतियों ने खरीदारी की। चाइना के कपड़े, देसी मॉडल और अरबी स्टाइल को लेकर महिलाएं दुकानदारों से काफी देर तक मोलभाव करती दिखीं। हिजाब की कीमत में तेजी आने से दुकानदार और कारोबारी उत्साहित दिखे। जानकारों का कहना है कि अच्छी गुणवत्ता का हिजाब 400-500 रुपये में बिक रहा है।

कारोबारी सूत्र कहते हैं कि अचानक हिजाब की मांग बढ़ने से शिपिंग कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है। पहले चाइना से चला कपड़ा सऊदी अरब-दुबई होते मुंबई पहुंचता था और 15 दिन के भीतर इसकी आपूर्ति हो जाती थी। लेकिन, इन दिनों ऐसा नहीं है। मुंबई से माल पहुंचने में सात से आठ दिन लग जा रहा है। यानी कि कर्नाटक के स्कूल से सरकार और कोर्ट-कचहरी तक उछले हिजाब विवाद में मुरादाबादी कारोबारियों की बल्ले बल्ले है। उधर, 800 से 7000 की कीमत में बिकने वाले बुर्को की भी इस समय मांग बढ़ गई है। युवा कारोबारी जहांगीर, आसिक और सुहेल करते हैं कोरोना काल की पाबंदियों की वजह से कारोबार प्रभावित था। लेकिन अब गर्मी की दस्तक के बीच भारतीय पद्धति के बने बुर्के पसंद किए जा रहे हैं। शादी ब्याह भी बाजार उछलने का उचित कारण है। छोटी बच्चियों में हिजाब का क्रेज बढ़ा है।

10 वर्षों के अंतराल में 80 प्रतिशत बढ़ा कारोबार
मुरादाबाद के पक्का बाग क्षेत्र के बुर्का बाजार में इन दिनों 40 से 50 दुकानें आबाद हैं। यहां के बने उत्पाद बरेली, हल्द्वानी, काशीपुर, रामनगर, अल्मोड़ा, शाहजहांपुर, वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर में मांग है। लॉकडाउन के दौरान कारोबार और कारोबारी परेशान थे। लेकिन, अब इस बात के संकेत है कि इस बाजार का सालाना कारोबार 150 करोड़ के पार जा सकता है। यह धनराशि 10 साल के अंतराल पर 80 प्रतिशत बढ़ा है।

जानिए हिजाब के बारे में
यह सिर को ढंकने वाला वस्त्र होता है। अरबी स्टाईल के स्टॉल की मांग शहर में रहती है, जबकि उपनगरीय और ग्रामीण परिवेश में देसी उत्पाद की मांग अधिक है। प्लेन नाम से बिकने वाला यह कपड़ा बाराबंकी, कानपुर में अधिक बनता है।

फुटकर में इस दर पर हो रही बिक्री
हिजाब (स्टॉल) 100- 400 रुपये
बुर्का देसी 800 से 7000 रुपये
बुर्का निर्यात 4000से 7000 रुपये

मुरादाबाद में तैयार होने वाले इस पकड़े की मांग देश भर में है। चीन से सबसे अधिक हिजाब देश में आ रहा है। वहां की डिजाइन और कपड़ों के रंग का बाजार पर कब्जा है। देहात में भारत में बना हिजाब अधिक पसंद किया जाता है, जबकि मुरादाबाद और देश के बड़े शहरों में आयातित उत्पाद की मांग अधिक है। -शाहजाद राजा, कारोबारी, पक्का बाग

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