Kanpur: हैलट अस्पताल का प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने किया निरीक्षण; मरीजों से जाना हालचाल, इमरजेंसी व बर्न वार्ड में व्यवस्थाएं देखीं

Kanpur: हैलट अस्पताल का प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य ने किया निरीक्षण; मरीजों से जाना हालचाल, इमरजेंसी व बर्न वार्ड में व्यवस्थाएं देखीं

कानपुर, अमृत विचार। हैलट अस्पताल में 20 सालों से बंद 50 बेड के प्राइवेट अस्पताल का लाभ जल्द ही मरीजों को मिलेगा। रविवार को प्रमुख सचिव ने निरीक्षण कर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य व हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक को मिलकर संचालन का प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए है, ताकि इसका लाभ मरीजों को मिल सके। फिलहाल निर्माण कंपनी के मुताबिक 50 बेड के अस्पताल में मरम्मत का कार्य लगभग पूरा हो गया है, अब बस कॉलेज प्रशासन को वह जल्द ही इसे हैंडओवर करेंगे।   

चिकित्सा स्वास्थ्य के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन रविवार को हैलट अस्पताल पहुंचे, यहां पर उन्होंने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय काला, उप प्राचार्य डॉ.रिचा गिरी, हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरके सिंह, इमरजेंसी में तैनात ईएमओ डॉ.अनुराग राजौरिया, डॉ.आशीष श्रीवास्तव के साथ इमरजेंसी का निरीक्षण किया। आईसीयू, रेड जोन, टेली आईसीयू और वार्ड का निरीक्षण किया।

इमरजेंसी वार्ड में मौजूद मरीजों व उनके तीमारदारों से अस्पताल से मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधा की जानकारी की और मौजूद डॉक्टर मरीजों से किसी तरह से पेश आ रहे हैं, यह भी देखा। डॉक्टरों से भी कई सवाल-जवाब किए, जिसपर वह संतुष्ट नजर आए। एनेस्थिया ओटी में मौजूद टेली आईसीयू का इस्तेमाल किस प्रकार से किया जा रहा है, इसकी जानकारी संबंधित डॉक्टरों से की।

डॉक्टरों ने बताया कि टेली आईसीयू के माध्यम से हैलट में रहकर एसजीपीजीआई के वरिष्ठ डॉक्टरों से संपर्क कर कुछ केस किए गए है। यह कैसे किया गया और मरीज को क्या लाभ मिला, इसकी भी जानकारी ली। सफलता रेट अधिक देख उन्होंने संबंधित डॉक्टरों को और बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। इमरजेंसी में प्रतिदिन कितने मरीज आ रहे है और कितने मरीजों को यहां से रेफर किया जा रहा है, यह आंकड़ा भी चेक किया। हालांकि इमरजेंसी से रेफर के मामले में प्रमुख सचिव को बहुत ही कम मिले। 

मरीजों की संख्या के आधार एक एमआरआई की जरूरत 

प्रमुख सचिव ने सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन कक्ष का भी निरीक्षण किया। कहा कि अस्पताल में मरीजों की संख्या को देखते हुए यहां पर एक एमआरआई मशीन और होनी चाहिए। पीपीपी मॉडल के तहत यहां पर मशीन लगवानी चाहिए।

ताकि मरीजों को और बेहतर सुविधाएं मिल सके। वहीं, निर्माणाधीन बर्न वार्ड को उन्होंने बाहर से देखा और उसकी कार्य प्रगति आदि की जानकारी प्राचार्य, प्रमुख अधीक्षक और निर्माण कंपनी के मौजूद जिम्मेदारों से की। उन्होंने प्राचार्य डॉ. संजय काला को फायर सेफ्टी और इलेक्ट्रिक सेफ्टी के बारे में निर्देश देते हुए कहा कि इन दोनों सुविधाओं को बेहतर बनाएं। ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी न हो सके।

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