हाईकोर्ट ने स्कूली इमारतों का निरीक्षण न करने पर जताई हैरानी, जानें क्या कहा...
विधि संवाददाता/लखनऊ, अमृत विचार। स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर चल रहे एक मामले की सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि यह स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद प्रदेश में स्कूलों के निरीक्षण के सम्बंध में कोई प्रगति नहीं हुयी है और न ही सुरक्षा के लिहाज से स्कूली इमारतों का कोई निरीक्षण हुआ है। न्यायालय ने कहा कि हम हैरान हैं कि इसके बावजूद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कैसे कह रहा है कि उत्तर प्रदेश में इस विषय पर काफी काम किया है।
यह टिप्पणियां न्यायमूर्ति आलोक माथुर व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है। उक्त याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2009 में दिए गए दिशा निर्देशों को लागू करने पर जोर दिया है।
न्यायालय ने बाराबंकी, अयोध्या, झांसी, शामली और सीतापुर के एक-एक स्कूलों को चिन्हित करते हुए, उनका राज्य सरकार द्वारा कमेटी गठित कर, उक्त स्कूलों का निरीक्षण कराने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही चार सप्ताह में कमेटी गठित करने का भी आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।
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