प्रयागराज : GST Registration निलंबन के आधार पर पारगमन में माल पर जुर्माने की मांग उचित नहीं

प्रयागराज : GST Registration निलंबन के आधार पर पारगमन में माल पर जुर्माने की मांग उचित नहीं

अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक व्यापारी के खिलाफ केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 129 के तहत पारित मांग और जुर्माना आदेश को रद्द करते हुए कहा कि उपरोक्त धारा में सीजीएसटी अधिनियम या नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करके माल का परिवहन करने पर माल और वाहनों को जब्त करने तथा अपेक्षित कर और जुर्माना अदा करने पर उन्हें छोड़ने का प्रावधान है।

जीएसटी पंजीकरण निलंबित होने के आधार पर मांग और जुर्माना नहीं लगाया जा सकता है। कोर्ट ने इसी न्यायालय के एक अन्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि जब माल उचित टैक्स चालान और ई-वे बिल के साथ मिल जाता है तो प्राप्तकर्ता को मलिक माना जाएगा और माल को सीजीएसटी अधिनियम की धारा 129(1)(ए) के अनुसार छोड़ना होगा। उक्त आदेश मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने मेसर्स लखदातार ट्रेडर्स की याचिका स्वीकार करते हुए पारित किया। मामले के अनुसार याची का माल पटना से गुरुग्राम ले जाया जा रहा था। उसने दावा किया कि माल के भौतिक सत्यापन में कोई भी विसंगति न पाए जाने के बावजूद उचित दस्तावेजों के बिना माल की आवाजाही दर्शाकर उसे रोक लिया गया। फॉर्म जीएसटी एमओवी-09 के जरिए जुर्माने की मांग से व्यथित होकर याची ने वर्तमान याचिका दाखिल की। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कारण बताओ नोटिस में केवल यह दर्शाया गया है कि याची का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया था, जिसके आधार पर जुर्माना लगाया गया है।

याची का पंजीकरण 3 अक्टूबर 2024 को निलंबित हुआ था और वाहन को 4 अक्टूबर 2024 को रोका गया। विभाग की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण में बताया गया कि याची ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण प्राप्त किया था। अतः ऐसा पंजीकरण रद्द करना आवश्यक था। अंत में कोर्ट ने आक्षेपित आदेश को रद्द करते हुए कहा कि जब माल उचित टैक्स इनवॉइस और ई-वे बिल के साथ पाया गया है तो केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, जीएसटी नीति विंग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जीएसटी पंजीकरण निलंबित होने के आधार पर जुर्माने की मांग नहीं की जा सकती है।

यह भी पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : इरफान की जमानत मंजूर लेकिन विधायकी नहीं हुई बहाल