मुरादाबाद : एक दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में, जीवन अस्त-व्यस्त...प्रशासनिक अधिकारी कर रहे खोखले दावे

ग्रामीणों के सामने खाने तक का संकट, ग्रामीण बोले अधिकारी नहीं आए हीरापुर तक, बाढ़ के पानी से टूटा कई गांव का संपर्क

मुरादाबाद : एक दर्जन से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में, जीवन अस्त-व्यस्त...प्रशासनिक अधिकारी कर रहे खोखले दावे

मुरादाबाद, अमृत विचार। बाढ़ के पानी ने मूंढापांडे ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक गांवों में जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। गांव की गली गली में पानी के बहाव से गांवों के कई मकानों के गिरने का खतरा बना हुआ है। हीरापुर गांव के बाद तो आगे पड़ने वाले गांव का संपर्क पूरी तरह कट चुका है। गांव में फोन के संपर्क के साथ अब बिजली व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो चुकी है। ग्रामीणों के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी अब तक केवल जिन गांवों में पानी बाहर तक है उन्हीं का निरीक्षण कर खाना पूर्ति करने में लगे हैं। उधर प्रशासनिक अधिकारी खाने से लेकर दवा और अन्य व्यवस्थाओं को पूरा करने के खोखले दावे करने लगे हैं।

मूंढापांडे ब्लॉक के गांव रझोड़ा कन्नड़ देव में बाढ़ के पानी से संपर्क मार्ग की सड़क धंस गई। इस संपर्क मार्ग से 14 गांव के लोगों का रोज आना जाना होता है। शनिवार की रात को गांव से बाहर जा रहा लकड़ी से भरा ट्रक धंसी सड़क के कारण पलट गया। जिससे गांव में आने जाने का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया था। रविवार को गांव वाले बाढ़ के पानी के बीच शाम तक ट्रक खाली करने में लगे रहे।दोपहर के बाद बाढ़ के पानी का बहाव तेज होने के कारण हीरा पुर, गदई खेड़ा, जैतोरा विसाट, रनिया ठेर, हरपाल नगर, भैया नगला,अहरौला,चक लालपुर तीतरी का संपर्क पूरी तरह आपस में कट गया है। रनिया ठेर गांव में पानी के तेज बहाव के कारण कुशल सिंह के मकान गिरने के कगार पर है। मकान एक तरफ को पूरी तरह से झुक गया है। 

हीरापुर गांव के बाद आगे गांवों में जाना अपनी जान को खतरे डालने के बराबर है। हीरापुर गांव की हर गली में पानी 40 किलोमीटर की रफ्तार बह रहा। गांव के पूर्व प्रधान के घर के बाहर बने जाहरवीर के मंदिर के सामने बने आधा दर्जन मकान कोसी नदी के बाढ़ के पानी के बहाव से सीधे टकरा रहे है। जिसमें गांव के मदन कठेरिया के मकान की दीवार पानी के तेज बहाव के कारण किसी वक्त भी ढह सकती है। गांव के सतेंद्र कठेरिया का कहना है कि शनिवार को प्रशासनिक अधिकारियों में तहसीलदार रामवीर सिंह और एडीएम वित्त एवं राजस्व सत्यम मिश्र आए थे। लेकिन, रविवार को बाढ़ का पानी गांव दस गुना बढ़ गया है पानी के तेज बहाव से छोटे-छोटे बच्चों के घर के दरवाजे से भी बाहर नहीं निकलने नहीं दिया जा रहा है।

 उन्होंने बताया कि शनिवार को गांव का ही मुकेश बाइक से अपने बच्चों को स्कूल से लेकर आ रहा था। दोपहर के बाद बाढ़ के पानी का तेज बहाव से होने लगा। जिससे बाइक बच्चों सहित बह गई। वहां खड़े गांव के लोगों ने बच्चों को पकड़ लिया। जिससे बड़ा हादसा होते होते बचा। अब हालात यह है कि पशुओं के भूखे मरने की नौबत आ रही है। घरों के बाहर बह रहे पानी को देखते हुए खेत पर जाने की हिम्मत नहीं हो रही। बराबर के गांव भीथ खेड़ा में बने विद्युत केंद्र में पानी भरने से एक दर्जन से अधिक गांवों की बिजली व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो गई है। गांव में अब दूर संचार का नेटवर्क भी ठप हो चुका है। छतों पर चढ़ गांव के लोग बाहर काम कर रहे परिवार के लोगों को बाढ़ की स्थिति बता कर घर वापस बुला रहे हैं।


हरपाल नगर के ग्रामीणों को भोजन तक नहीं मिल रहा
हरपाल नगर गांव में बिजली नेटवर्क और खाने तक की व्यवस्था पूरी चौपट हो चुकी है। शनिवार तक हरपाल नगर गांव के बाहर तक पहुंचा जा सकता था। लेकिन रविवार की सुबह पानी के बढ़ने से अब हीरापुर गांव के आगे जाने में खतरा बना हुआ है। प्रशासन ने हरपाल नगर गांव के बाहर नाव लगाकर पल्ला झाड़ लिया है। ऐसे में अब गांव के लोगों के चेहरे पर रात में पानी बढ़ने का खौफ साफ दिखाई दे रहा है। अगर रात में अचानक गांव में बाढ़ का पानी बढ़ता है तो गांव में छाए अंधेरे के कारण गांव के लोगों को अपनी जान बचाने का भी मौका नहीं मिलेगा।

अधिकारी कर रहे व्यवस्था के खोखले दावे
प्रशासन गांव में व्यवस्था के नाम बड़े-बड़े दावे कर रहा है। जबकि पूरे गांव में लेखपाल या अन्य कोई कर्मचारी कहीं दिखाई नहीं दिया। गांव निवासी कपिल कुमार ने बताया कि गांव के लेखपाल से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया है। तहसीलदार गांव में राहत पहुंचाने के लिए जिला पूर्ति अधिकारी, पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की टीम होने के दावा कर रहे हैे। लेकिन हकीकत से अधिकारियों के दावे से बहुत परे हैे। गांव के लोगों को पशु तक के चारे की दिक्कत आने लगी है। शाम होते ही गांवों में अंधेरे के साथ छाए सन्नाटे में केवल पानी के बहाव का शोर सुनाई दे रहा है। वहीं तहसीलदार सदर रामवीर गांव में पानी उतरने और गांव वालों के लिए राहत सामग्री पहुंचाने के झूठे दावे करने में लगे हैं।

लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष 
मूंढापांडे ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों में प्रशासन के खिलाफ रोष पनप रहा है। ग्रामीणों का कहना है हर साल बाढ़ आती है। किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं। फसल के मुआवजे की रकम के लिए महीनों सरकारी कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। कई महीनों खेत में फसल पैदा करने में परेशानी आती है। हर साल जिला प्रशासन के अधिकारी गांव में आकर परेशानी पूछते है और चले जाते हैं। क्षेत्र के लोगों को पिछले दस साल कोसी नदी पर बांध बनाए जाने के मुद्दे को जिला प्रशासन हर बार बाढ़ के बाद ठंडे बस्ते में डाल देता है।

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