निर्मला सीतारमण लगातार 7वें बजट के साथ इतिहास रचने को तैयार, टूट जाएगा मोरारजी देसाई का ये रिकॉर्ड

निर्मला सीतारमण लगातार 7वें बजट के साथ इतिहास रचने को तैयार, टूट जाएगा मोरारजी देसाई का ये रिकॉर्ड

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपना लगातार सातवां बजट पेश करके इतिहास रचने वाली हैं। इस तरह वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड तोड़ देंगी। हालांकि, सबसे अधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड अब भी देसाई के पास ही है। सीतारमण अगले महीने 65 वर्ष की हो जाएंगी। उन्हें 2019 में भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनाया गया था। इसी साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई थी। तब से सीतारमण ने इस साल फरवरी में एक अंतरिम सहित लगातार छह बजट पेश किए हैं। 

वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल, 2024 से मार्च, 2025) का पूर्ण बजट उनका लगातार सातवां बजट होगा। वह देसाई के रिकॉर्ड से आगे निकल जाएंगी, जिन्होंने 1959 से 1964 के बीच लगातार पांच पूर्ण बजट और एक अंतरिम बजट पेश किया था। स्वतंत्र भारत में बजट पेश करने से जुड़े कुछ तथ्य इस प्रकार हैं। स्वतंत्र भारत का पहला आम बजट 26 नवंबर, 1947 को देश के पहले वित्त मंत्री आर के शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और बाद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में वित्त मंत्री के तौर पर कुल 10 बजट पेश किए हैं। 

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नौ मौकों पर बजट पेश किया। प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आठ बजट पेश किए। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 से 1995 के बीच लगातार पांच बार बजट पेश किया, जब वह पी वी नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री थे। सबसे लंबा बजट भाषण सीतारमण ने एक फरवरी, 2020 को दो घंटे 40 मिनट का दिया। वर्ष 1977 में हीरूभाई मुलजीभाई पटेल का अंतरिम बजट भाषण अबतक का सबसे छोटा भाषण है, जिसमें केवल 800 शब्द हैं। 

बजट पारंपरिक रूप से फरवरी के आखिरी दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता है। वर्ष 1999 में समय बदला गया था और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिंह ने सुबह 11 बजे बजट पेश किया। तब से बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है। इसके बाद 2017 में बजट पेश करने की तिथि बदलकर एक फरवरी कर दी गई थी, ताकि सरकार मार्च के अंत तक संसदीय अनुमोदन प्रक्रिया पूरी कर सके। 

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