बाराबंकी: नीट विवाद पर सांसद तनुज पुनिया का मोदी सरकार पर जोरदार हमला, बोले- 24 लाख युवाओं के अरमानों का घोंटा गला

बाराबंकी: नीट विवाद पर सांसद तनुज पुनिया का मोदी सरकार पर जोरदार हमला, बोले- 24 लाख युवाओं के अरमानों का घोंटा गला

बाराबंकी, अमृत विचार। देश की मोदी सरकार ने 24 लाख युवाओं के अरमानों का गला घोटने का काम किया है। देश की सबसे बड़ी और कठिन प्रवेश परीक्षा नीट यूजी के परीक्षाफल में गड़बड़ी देश के 24 लाख युवाओं के भविष्य का सवाल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले की गम्भीरता को समझें और अपनी चुप्पी तोड़ें।

पटना में दर्ज एफआईआर और जांच में दर्ज बयान सच्चाई बयां कर रहे हैं कि नीट 2024 का पेपर आउट हो गया था। मोदी सरकार और एनटीए नीट प्रकरण में लीपा पोती कर रहें है। केन्द्र सरकार उक्त प्रकरण में उच्चतम न्यायलय की निगरानी में फोरेंसिक जांच कराये। यह मांग सांसद तनुज पुनिया ने शनिवार को चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश से जुड़ी परीक्षा नीट स्नातक में हुई कथित धांधली पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए के केन्द्र सरकार से की।

तनुज पुनिया ने कहा कि अगर नीट परीक्षा का पेपर लीक नहीं हुआ, तो बिहार में 13 आरोपियों को गिरफ्तार क्यों किया गया। मोदी सरकार और उनके शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान कह रहे हैं कि न कोई पेपर लीक हुआ है। न कोई गड़बड़ी हुई है। फिर भी हम जांच करा रहे हैं। उनका यह बयान अपने आप में स्पष्ट संकेत देता है कि जब जांच के पहले देश के शिक्षा मंत्री कह रहे हों कि, कोई गड़बड़ी नहीं हुई है तो नतीजा कैसे सही होगा। 

हकीकत तो ये है कि भाजपा सरकार में कुछ दिनों में ही पेपर लीक के कई मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें सरकार की काफी फजीहत हो चुकी है। सरकार इस बार हर कीमत पर पेपर लीक की बात को नकार कर किसी भी तरह मामले को मैनेज करने की कोशिश कर रही है। नीट आयोजित करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा ऐजेन्सी इस प्रकरण पर कह रही है कि कुछ परीक्षा केन्द्रों पर गतली से दूसरा पेपर बंट गया। उसे वापस लेकर सही पेपर बांटने में कुछ समय लग गया था। परीक्षार्थियों का इस तरह समय खराब होने से कोई नुकसान न हो, इसलिये उन केन्द्रों के 1563 अभ्यार्थियों को कुछ अंक कृपा की तौर पर दे दिये गये थे। 

सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि इसी प्रकरण को लेकर पूरे देश में नीट परीक्षा के अभ्यार्थी प्रदर्शन करके आरोप लगा रहे हैं कि यह मामला 1563 परीक्षार्थियों का नहीं बल्कि 24 लाख अभ्यार्थियों का है। क्योंकि कुछ अभ्यार्थी ग्रेस मार्क से टॉपर बन गये हैं। इस बार रिकार्ड 67 अभ्यार्थियों के अंक 720 में 720 आये हैं।

प्रदर्शनकारी अभ्यार्थी कह रहें है कि कृपांक 10, 20 या 30 नहीं बल्कि 100-150 तक दिये गये हैं। ऐसे में वह अभ्यार्थी भी मैरिट में आये हैं जो असली नंबर के सहारे न आते। ऐसे में इस बात पर संदेह है कि क्या देश के 24 लाख बच्चों को न्याय मिलेगा। क्योंकि मोदी सरकार इस मामले में संवेदनशील नहीं है। 24 लाख अभ्यार्थियों की एक बड़ी संख्या होती है। 

यह युवा दो, चार, पांच साल तक की कड़ी मेहनत करके परीक्षा देने की तैयारी इसलिये करते हैं कि उनका दाखिला चिकित्सा की पढ़ाई में हो जाये और उनका डाक्टर बनने का सपना पूरा हो जाये। इस बार प्रवेश परीक्षा में 24 लाख अभ्यार्थियों ने हिस्सा लिया। जिसमें 13 लाख उत्तीर्ण हुये और 11 लाख अनुत्तीर्ण रहे। इसी से अनुमान लगता है कि यह परीक्षा कितनी बड़ी और कठिन थी। जिसमें एक परीक्षा केन्द्र के आठ अभ्यार्थी शत प्रतिशत अंक पाकर टापर बने हैं। जो जाँच का विषय है।

तनुज पुनिया ने मोदी सरकार से जोरदार शब्दों में मांग करते हुये कहा कि हकीकत में यह एक बड़ा गम्भीर मामला है और ऐसे मामले जिसमें देश के 24 लाख युवाओं का भविष्य दांव पर हो और देश की सरकार की अनदेखी और प्रधानमंत्री का मौन देश के युवाओं के मानसिक स्वास्थ पर कितना बुरा असर डाल रहा है। इसका अनुमान लगा पाना कठिन है। 

इसमें पहली प्राथमिकता होनी चाहिये कि युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ न हो। इसके लिये देश के शिक्षा मंत्री छात्रों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम न करें और सरकार सम्पूर्णं प्रकरण को गम्भीरता से लेकर उच्चतम न्यायालय की निगरानी में फिर से फॉरेंसिक जांच कराए। जिससे नीट परीक्षा के अभ्यार्थियों को न्याय मिल सके।

यह भी पढ़ें: लखनऊ: नैनीताल बैंक बेचने के विरोध में हड़ताल, अधिकारियों और कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन