बरेली में इस रेल लाइन पर टहलती है आत्मा...! ट्रेन के लोको पायलट की भी छूट गई कपकपी

बरेली में इस रेल लाइन पर टहलती है आत्मा...! ट्रेन के लोको पायलट की भी छूट गई कपकपी

बरेली, अमृत विचार। मेडिकल साइंस माने या न माने लेकिन हमेशा रहस्यमयी साये दिखने के दावे किए जाते रहे हैं। कुछ लोग इन पर यकीन करते हैं तो किसी के लिए आंखों के धोखे से ज्यादा कुछ नहीं। मगर जिन लोगों ने इन सायों को देखा या महसूस किया उनके लिए ऐसी घटनाओं को झुठला पाना भी मुमकिन नहीं। कुछ इसी तरह रेलवे के एक सहायक लोको पायलट ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए आपबीती शेयर की तो यकीन करना मुश्किल हुआ। सहायक लोको पायलट ने पीलीभीत से बरेली सिटी स्टेशन तक डेमू ट्रेन लाते वक्त रेलवे लाइन पर एक रहस्यमयी महिला का साया देखने का दावा किया।

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सहायक लोको पायलट रवि ने इस लाइन पर देखी एक सफेद साड़ी पहनी महिला 

फेसबुक पर साझा की आप बीती
दरअसल रवि यादव पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर रेल मंडल के स्टेशन बरेली सिटी पर सहायक लोको पायलट के पद पर तैनात हैं। यहां से दूसरे स्टेशनों तक ट्रेन चलाकर ले जाना उनके लिए आम बात है। हाल ही में उन्होंने अपने साथ जनवरी में हुई एक घटना का जिक्र किया। रवि अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखते हैं कि "कल शाम डेमू पैसेंजर ट्रेन लेकर बरेली से पीलीभीत जाना हुआ। फिर 1 घंटे बाद वही ट्रेन लेकर पीलीभीत से वापसी बरेली आना होता है। रात लगभग 11 बजे मैं इसी स्टेशन से गुजरा। इसी साल की सर्दियों की एक घटना याद आ गई।"

रेलवे लाइन पर सफेद साड़ी में दिखी महिला
"दोस्तों हुआ ये कि जनवरी की सर्द रात थी । हम पीलीभीत से लौट रहे थे। उस रात कोहरा नहीं था लेकिन एकदम स्याह रात थी। जब भोजीपुरा मेनलाइन से हमें सिग्नल हरा मिला तो हमारी ट्रेन की स्पीड लगातार बढ़ रही थी क्योंकि अगला स्टेशन दोहना रन थ्रू पास करना था। दोहना स्टेशन से पहले एक क्रॉसिंग पड़ती है वहां से लाइन सीधी हुई और हमारी ट्रेन की लाइट लाइन पर लगातार सीधी पड़ने लगी। गाड़ी की स्पीड लगभग 90 किमी प्रति घंटा पहुंच चुकी थी । तब हल्की धुंध में दिखा कि लूप लाइन नंबर-1 पर एक महिला सफेद साड़ी में खड़ी है।''  

रहस्यमयी महिला के इस काम ने चौंका दिया
रवि लिखते हैं कि " हमारी स्पीड लगातार बढ़ती जा रही थी। जैसे ही थोड़ा आगे पहुंचे तो स्टेशन मास्टर से सिग्नल आल राइट मिलाने के लिए ट्राई कलर टॉर्च उठाने के लिए हाथ डेस्क पर ले गए और जैसे ही फिर सामने देखा कि वो धुंधली सी महिला बाईं लाइन से दाई वाली लाइन पर आ गई। मैं एकदम आश्चर्यचकित हो गया कि बमुश्किल 3-4 सेकेंड में ये लाइन 1 से 3 में कैसे चली गई जबकि बीच वाली लाइन भी क्रॉस करनी थी जिस पर हमारी गाड़ी भी गुजरनी थी। इसके बाद जैसे ही गाड़ी उस महिला के पास से गुजरी तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वो गायब हो गई। ये सब इतनी जल्दी से हुआ कि समझना मुश्किल था। 10 से 12 सेकंड में पूरा घटनाक्रम घटित हो गया क्योंकि 25 मि/से. की स्पीड से ट्रेन को 300-400 मीटर का स्टेशन पार करने में इतना ही समय लगेगा।" 

रास्ता नहीं फिर भी कैसे निकल गई महिला
रवि आगे लिखते हैं कि "बरेली सिटी पहुंच कर ड्यूटी खत्म की फिर घर पर भी सोचता रहा। अगले एक दो दिन बाद दिन में ड्यूटी के दौरान इस स्टेशन पर जब आना हुआ तो उसी जगह को ध्यान से देख कर लगा उस जगह जहां महिला अचानक से गायब हुई थी वहां कटीली झाड़ियां थीं और कोई रास्ता भी नहीं था। अब जब भी रात पीलीभीत डेमू पैसेंजर लेकर गुजरता हूं तो घटना याद आ जाती है। वैसे भी रात के सफर सुनसान और शांत होते हैं, गाड़ियां रात में गुजरती हैं तो अचानक से स्टेशन थर्रा उठते हैं। बाकी तो शांत ही पड़े रहते हैं।"

पोस्ट पर कमेंट कर लोग दे रहे प्रतिक्रिया
सहायक लोको पायलट रवि की इस पोस्ट पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं, कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने जो देखा वो महज एक रिफलेक्शन हो सकता है।

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मगर कुछ लोगों ने अपने साथ हुई घटनाओं को साझा करना शुरू कर दिया है। बहुत सारे लोगों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं में काफी हद तक सच्चाई होती है। 

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जानिए क्या कहते हैं एनर्जी साइंस एक्सपर्ट
विशेष कुमार एनर्जी साइंस विशेषज्ञ हैं, अपने अनुभव से वह बताते हैं कि इस दुनिया में सकारात्मक व नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाएं हमेशा सक्रिए रहती हैं। वह दावा करते हैं कि उन्होंने इन ऊर्जाओं को अपने यंत्रों के जरिए भी महसूस किया है। कई बार लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है। सकारात्मक या नकारात्म ऊर्जा बनकर ये लोग हमारे आसपास ही रहते हैं। कई बार लोग इनको बेहद करीब से देख व महूस कर सकते हैं। 

रेलवे अधिकारियों ने किया इनकार
उधर रेलवे के अधिकारियों ने ऐसी किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इन्कार कर दिया है, पूर्वोत्तर रेलवे इज्जतनगर मंडल के जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह ने बताया कि इस मामले की जानकारी नहीं है। 

मनोविज्ञान विशेषज्ञों की राय में भ्रम के सिवा कुछ नहीं
बरेली कॉलेज मनोविज्ञान विभाग की प्रभारी डॉ. सुविधा शर्मा बताती हैं कि कई बार लोगों ने किसी फिल्म में कोई दृश्य देखा होता है या फिर कोई किस्सा सुना होता है वह उस घटना को अनकॉन्शियस माइंड से उठाकर कॉन्शियस माइंड में ले आते हैं। वह इमेजिनेट करने लगते हैं, जिसकी वजह से वह साये दिखने व आत्मा दिखने की बात करते हैं। वहीं कई बार लोग थके हुए भी हो सकते हैं, जिसकी वजह से उनकी दृष्टि भ्रम भी हो सकता है।

नोट- अमृत विचार ऐसे किसी दावे की पुष्टि नहीं करता है।

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