लिवर फेल मरीज के लिए KGMU के डॉक्टर बने भगवान, दिया नया जीवन

लिवर फेल मरीज के लिए KGMU के डॉक्टर बने भगवान, दिया नया जीवन

लखनऊ, अमृत विचार: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के डॉक्टरों को लिवर फेल मरीज की जान बचाने में कामयाबी मिली है। होशोहवास खोने पर मरीज को निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। करीब डेढ़ माह तक भर्ती रहने के बाद भी राहत न मिलने पर उसे केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर लाया गया। यहां वेंटिलेटर यूनिट के डॉक्टरों के अथक प्रयास से उसकी जान बची।

केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि अमेठी निवासी 30 वर्षीय युवक को सांस लेने में तकलीफ हुई। पेट में सूजन आ गई। परिवारीजन मरीज को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने जांच की। करीब डेढ़ माह मरीज को भर्ती रखा। तबीयत में सुधार न होने पर मरीज को केजीएमयू रेफर कर दिया। गंभीर अवस्था में परिवारीजन मरीज को लेकर केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। मरीज को वेंटिलेटर यूनिट (टीवीयू) में भर्ती किया गया। जांच में पता चला कि मरीज का लिवर फेल है। अल्टर्ड सेंसोरियम (होशोहवास खो जाना), दिमागी सूजन, प्लेटलेट्स की कमी और शरीर में इन्फेक्शन फैल गया था। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर कम हो गया था। आनन-फानन मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया।

ट्रॉमा वेंटिलेटर यूनिट के इंचार्ज डॉ. जिया अरशद ने बताया मरीज की हालत बहुत गंभीर थी। उन्हें आईसीयू-वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया। उनकी स्थिति का गहनता से मूल्यांकन कर प्रभावी इलाज दिया गया। इलाज से मरीज की तबीयत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। मरीज अब वेंटिलेटर से बाहर है। मरीज की लिवर प्रोफाइल में सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि मरीज की तबीयत स्थिर है। जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दी जाएगी। आईसीयू के डॉ. रवि प्रकाश, डॉ. अभिषेक राजपूत, रेजिडेंट डॉ. अंकुर, डॉ. सृष्टि व डॉ. स्वाती ने मरीज की निगरानी और इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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