Doctors की लापरवाही पर हाईकोर्ट का कड़ा निर्देश, कहा- पॉक्सो मामलों में आयु निर्धारण के लिए तर्कसंगत रिपोर्ट तैयार करें चिकित्सक

एटा के देहात कोतवाली में दर्ज हुई थी प्राथमिकी

Doctors की लापरवाही पर हाईकोर्ट का कड़ा निर्देश, कहा- पॉक्सो मामलों में आयु निर्धारण के लिए तर्कसंगत रिपोर्ट तैयार करें चिकित्सक

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पॉक्सो मामलों में मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता की उम्र दर्शाने के संबंध में चिकित्सा अधिकारियों द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश और महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, उत्तर प्रदेश यह सुनिश्चित करें कि पोक्सो अधिनियम के तहत पीड़ितों/मेडिकल रिपोर्ट द्वारा आयु निर्धारित करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए और उक्त मेडिकल रिपोर्ट पोक्सो अधिनियम की धारा 27 के साथ सीआरपीसी की धारा 164 ए (2) (3) के अनुरूप निष्कर्षों के लिए कारण बताने के बाद तैयार की जाए।

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस तरह की यांत्रिक रिपोर्टें पॉक्सो अधिनियम की धारा 27 के प्रावधानों के साथ आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 164 ए (2) और (3) का भी उल्लंघन करती हैं, जो यौन उत्पीड़न की नाबालिग पीड़ितों की चिकित्सा जांच से संबंधित है। चिकित्सा रिपोर्ट में आयु निर्धारण के पीछे के तर्क को पूरी तरह से दर्ज करना आवश्यक है। कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़ित की आयु निर्धारित करने के लिए अपनाए गए चिकित्सीय मापदंडों या वैज्ञानिक मानदंडों का कारण और विवरण वैध चिकित्सा रिपोर्ट की अनिवार्य शर्तें हैं। 

पीड़िता की उम्र के संबंध में विरोधाभासों को उजागर करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने धर्मेंद्र की जमानत याचिका स्वीकार कर उसे जमानत दे दी। मामले के अनुसार याची के विरुद्ध आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं  के तहत पुलिस स्टेशन कोतवाली देहात एटा में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोपी ने दावा किया कि उनका रिश्ता सहमति से बना था और अलग होने से पहले वे करीब पांच महीने तक शादीशुदा भी रहे थे। पीड़िता ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि उसकी उम्र 15 साल है, जबकि आरोपी ने तर्क दिया कि उम्र में अंतर जानबूझकर उसे पॉक्सो अधिनियम के तहत फंसाने के लिए किया गया है। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि स्कूल रिकॉर्ड में पीड़िता की उम्र 15 वर्ष दिखाई गई है जबकि मेडिकल रिपोर्ट में उसकी आयु मात्र 13 वर्ष बताई गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उम्र का कॉलम बस भर दिया गया है, और उम्र के बारे में निष्कर्ष के लिए कारण अनुपस्थित हैं। रिपोर्ट अमान्य है। अंत में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्राधिकारियों को पोक्सो अधिनियम के तहत पीड़ितों की आयु निर्धारण करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञ को उचित प्रशिक्षण देने की बात कही जिससे वह इतनी महत्वपूर्ण रिपोर्ट को केवल औपचारिक और यंत्रवत ढंग से तैयार ना करें।

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