इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला :  संबंधित स्कूल की समिति की सहमति के बिना स्कूल की भूमि को पट्टे पर देना प्रतिबंधित

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला :  संबंधित स्कूल की समिति की सहमति के बिना स्कूल की भूमि को पट्टे पर देना प्रतिबंधित

प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कूलों की भूमि को अवैध रूप से लीज पर दिए जाने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी स्कूल की कृषि भूमि को संबंधित स्कूल की  समिति द्वारा लिए गए तर्कसंगत निर्णय के बिना पट्टे पर नहीं दिया जाएगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गठित स्कूलों की समिति में ग्राम प्रधान या नगर पालिका अध्यक्ष को अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए तथा उप विभागीय मजिस्ट्रेट द्वारा नामित नायक तहसीलदार से ऊपर के पद के व्यक्ति और संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य को सदस्य बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि समिति पहले के पट्टे की शर्तों, स्कूल के खाते में जमा की गई पूर्व अर्जित आय पर विचार करने के साथ ही समिति पट्टेदार के पूर्ववृत्त पर भी ध्यान देगी। वर्तमान मामले के संदर्भ में न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने जिला मजिस्ट्रेट, मेरठ के साथ-साथ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मेरठ को संबंधित स्कूल समिति की रिपोर्ट और उसके सुझावों पर ध्यान देने का निर्देश दिया, साथ ही इसे लागू करने के लिए सभी संभव प्रयास करने का आदेश देते हुए जय भगवान की जनहित याचिका का निस्तारण किया।

मामले के अनुसार याची ने स्कूल के खेल मैदान को अतिक्रमण से बचाने के लिए वर्तमान याचिका दाखिल कर तर्क दिया था कि स्कूल की कृषि भूमि के पट्टे की आड़ में खेल के मैदान पर अतिक्रमण किए जाने की आशंका है। सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि जमीन को लीज पर देने के समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और लीज से होने वाली आय को स्कूल के पास जमा भी नहीं कराया गया। इसके अलावा कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी ने भी अनियमिताओं के बारे में सूचना दी।

कोर्ट को बताया गया कि 31 जुलाई 2018 के शासनादेश में स्कूल की कृषि भूमि को पट्टे पर देने के लिए समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि मेरठ जिले में 53 स्कूल हैं और कई स्कूलों की कृषि भूमि को बिना किसी समिति के गठन के पट्टे पर दिया जा रहा है। अंत में कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मेरठ द्वारा मेरठ के समस्त 53 विद्यालयों को कोर्ट के आदेश से अवगत कराने का निर्देश दिया और साथ में रिपोर्ट में बताई गई कमियों को सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात भी कही।

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