नैनीताल: केवट बनकर सालों से श्रीराम की नैया पार करवा रहे अनवर 

नैनीताल: केवट बनकर सालों से श्रीराम की नैया पार करवा रहे अनवर 

नैनीताल, अमृत विचार। नैनीताल में अनवर कई सालों से केवट बनकर श्रीराम की नैया पार लगा रहे हैं तो नासिर बीस सालों से गुरु विशिष्ठ बनकर श्रीराम और लखन को शस्त्र विद्या का ज्ञान देते हैं। जावेद के बिना ताड़का वध और नारद मोह का मंचन अधूरा सा ही लगता है।

दरअसल, नैनीताल में होने वाली राम लीलाओं में मुस्लिम समाज के लोग सालों से इसी तरह अपना योगदान दे रहे हैं। पात्रों के मेकअप से लेकर रामलीला में अभिनय तक में इनकी बड़ी भूमिका रहती है।
शास्त्रों के अनुसार रामराज्य में जात पात का भेदभव नहीं था। इसलिए नैनीताल की रामलीलाओं में भी जाति धर्म को किनारे रख हर वर्ग से लोग अपना योगदान सालों से देते आ रहे हैं। नैनीताल में कई मुस्लिम समुदाय के लोग राजगुरु, पुरोहित, मारीच, केवट से लेकर कई दूसरे किरदारों को मंच पर उतारते रहे हैं।

सूखाताल की रामलीला में नासिर अली बीते बीस सालों से मारीच, गुरु वशिष्ठ के पात्रों का अभिनय करते हैं। नासिर का कहना है की रामलीला में जाति धर्म का कोई स्थान नहीं। वह सालों से रामलीला मंचन में शिरकत कर रहे हैं। रामलीला में पात्रों का मंचन कर उन्हें बेहद सुकून महसूस होता है। अनवर रजा और जावेद राम कार्य में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं। अनवर रजा तो हर साल केवट और मुनि का अभिनय करते हैं। जावेद के अभिनय के बिना ताड़का और नारद मोह का मंचन अब लोगों को अधूरा सा लगता है।

40 सालों से राम-सीता को सजा रहा सईब अहमद का परिवार
तल्लीताल की रामलीला अपने आप में खास है। पिछले 40 सालों से मुस्लिम समुदाय के सईब अहमद रामलीला में राम, सीता, रावण और अन्य सभी पात्रों का मेकअप कर रहे हैं। उनके परिवार के कई लोग रामलीला में अभियन और मेकअप भी करते हैं। सईब का मानना है कि इस तरह के त्योहार धर्म और समुदाय से जोड़ते हैं। हर साल खुद रामलीला कमेटी उन्हें प्रेम से आमंत्रित करती है। इस काम में उन्हें भी बहुत आनंद आता है।

पं. गोविंद बल्लभ पंत ने की थी शुरुआत
नैनीताल की रामलीला को भी 128 साल पूरे हो चुके हैं। 128 साल पहले नैनीताल के तल्लीताल में रामलीला की शुरुआत पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने की थी। पंडित गोविंद बल्लभ पंत इस रामलीला कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे। तब से लेकर आज तक तल्लीताल में रामलीला का दौर जारी है। नैनीताल में शेर का डांडा, मल्लीताल, सूखाताल में भी रामलीला का मंचन किया जाता है।

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