नैनीताल: बिना अनुमति सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल काउंसिल बुलाने पर मुख्य सचिव से मांगा शपथ पत्र
विधि संवाददाता, नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से बिना न्याय विभाग की अनुमति लिए एवं शासनादेश के विरुद्ध जाकर उच्च न्यायालय में कुछ विशेष मामलों में सरकार की तरफ से प्रभावी पैरवी करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से स्पेशल काउंसिल बुलाने व उन्हें प्रति सुनवाई 10 लाख दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में दस्तावेजों के साथ मुख्य सचिव का शपथ पत्र दो सप्ताह के भीतर पेश करने को कहा है।
मंगलवार को हुई सुनवाई में महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि यह जनहित याचिका निरस्त करने योग्य है, क्योंकि इसमें जो पक्षकार बनाए गए हैं वर्तमान में सीएम व मुख्य स्थायी अधिवक्ता हैं। जिनका इससे कोई लेना देना नहीं है इसलिए जनहित याचिका से उनके नाम हटाए जाएं और जनहित याचिका को निरस्त किया जाए। इसका विरोध करते हुए याचिकाकर्ता भुवन चन्द्र पोखरिया ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विपक्षियों को इस जनहित याचिका में इसलिए पक्षकार बनाया गया कि इन्होंने स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के लिए न तो राज्य के चीफ सेकेट्री और न ही न्याय अनुभाग से अनुमति ली।
एक केस में स्पेशल काउंसिल नियुक्त करने के बाद लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया। जिस दिन केस लगा हुआ था उस दिन के कोर्ट के आदेश में उनका नाम नहीं छपा था, जिसकी अनुमति शासनादेश नहीं देता। स्पेशल काउंसिल नियुक्ति करने के लिए सरकार को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व न्याय विभाग की अनुमति लेनी आवश्यक होती है। उनकी स्वीकृति के बाद ही स्पेशल काउंसिल नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन यहां सरकार ने यह प्रक्रिया नहीं अपनाई है।