प्रयागराज: राजस्व अधिकारियों के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

प्रयागराज: राजस्व अधिकारियों के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तथ्यों को छिपाकर जनहित याचिका के नाम पर निजी हित में दाखिल याचिका को खारिज करते हुए न्यायिक प्रणाली के ऐसे दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की और याचिका को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए याची को चेतावनी दी कि वह ऐसा दोबारा ना करे, अन्यथा उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उक्त आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने राम प्रताप कसौधन की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। 

दरअसल याचिका में ग्राम ओरन, तहसील अतर्रा, बांदा के राजस्व अभिलेखों में की गई कथित अवैध प्रविष्टियों की जांच करने और गलत आदेश पारित करने तथा जाली प्रविष्टियों में शामिल राजस्व अधिकारियों को दंडित करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई। याची एक सामाजिक कार्यकर्ता है और उसका आरोप है कि चकबंदी कार्यवाही के दौरान फर्जी समझौता हलफनामे पर विचार करते हुए आक्षेपित आदेश पारित कर दिया गया। चकबंदी अधिकारी ने उक्त आदेश पारित करते समय यह विचार नहीं किया कि समझौते के आधार पर कोई हस्तांतरण नहीं किया जा सकता है। विपक्षियों द्वारा हस्तक्षेप आवेदन दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि वर्तमान याचिका वास्तविक ना होकर प्रायोजित है। 

याचिका द्वारा प्रभावित होने वाले आवेदक को पक्षकार नहीं बनाया गया। इसके अलावा यह भी बताया गया कि याचिका में लगाए गए सभी आरोप निजी व्यक्तियों के बीच मुकदमेबाजी से संबंधित हैं। अंत में कोर्ट ने याचिका की सत्यता को संदिग्ध मानते हुए इसे खारिज कर दिया।

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