केंद्र सरकार की प्रयागराज में एम्स जैसा संस्थान स्थापित करने की योजना है या नहीं :हाईकोर्ट

केंद्र सरकार की प्रयागराज में एम्स जैसा संस्थान स्थापित करने की योजना है या नहीं :हाईकोर्ट

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज शहर में चिकित्सीय सुविधाओं और बुनियादी ढांचे की अपर्याप्तता को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से पूछा कि क्या केंद्र सरकार प्रयागराज में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के समान एक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थान स्थापित करने की योजना बना रही है। 

दरअसल जनहित याचिका में बताया गया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 5.9 मिलियन से अधिक की आबादी वाले प्रयागराज को तत्काल बेहतर मेडिकल सुविधाओं की आवश्यकता है। यह शहर प्रमुख प्रशासनिक और शैक्षणिक केंद्र है, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट सहित चार जिलों के आयुक्त और कई केंद्रीय तथा राज्य सरकार के प्रतिष्ठान मौजूद हैं। 

याचिका में यह भी बताया गया कि प्रयागराज में स्थापित प्रमुख संस्थानों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय, केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण, ऋण वसूली न्यायाधिकरण, उत्तर प्रदेश के महालेखा परीक्षक, रक्षा लेखा के प्रधान नियंत्रक, मोती लाल नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान और हरीश चंद्र शोध संस्थान शामिल हैं। इसके अलावा प्रयागराज में कई राज्य प्रतिष्ठान जैसे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, राजस्व बोर्ड, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड, बेसिक शिक्षा बोर्ड, उत्तर प्रदेश शिक्षक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड भी स्थित हैं। अपनी प्रमुखता के बावजूद प्रयागराज की चिकित्सीय सुविधाओं में भारी कमी है। यहां तक कि राज्य द्वारा संचालित मौजूदा मेडिकल कॉलेज और टी.बी. सप्रू अस्पताल दोनों के द्वारा प्रदान की गई चिकित्सा सेवाएं निम्न स्तरीय हैं। याचिका के साथ प्रस्तुत पूरक हलफनामे में अस्पताल भवनों की  दयनीय स्थिति और प्रदान की जाने वाली मेडिकल सेवाओं की अपर्याप्तता का विवरण भी दिया गया है। 

याचिका में यह भी प्रस्तुत किया गया कि वर्ष 2003 में सस्ती/विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करने और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से घोषित प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत प्रयागराज शहर अधिकांश मानदंडों को पूरा करता है, इसलिए केंद्र सरकार को अपनी नीति के अनुसार विशेष तृतीयक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शहर में एम्स जैसा संस्थान स्थापित करना चाहिए। याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीर मानते हुए कोर्ट ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि प्रयागराज में एम्स जैसा संस्थान स्थापित करने की कोई योजना है या नहीं। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने सहज-सारथी फाउंडेशन और एक अन्य की जनहित याचिका पर अगली सुनवाई आगामी 1 अगस्त को सुनिश्चित कर दी है।

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