![Video: करोड़ों की लागत से बन रहे परक्युपाइन में बालू के स्थान पर डाली जा रही घास](https://www.amritvichar.com/media/c200x160/2024-07/8-(7).jpg)
Video: करोड़ों की लागत से बन रहे परक्युपाइन में बालू के स्थान पर डाली जा रही घास
![Video: करोड़ों की लागत से बन रहे परक्युपाइन में बालू के स्थान पर डाली जा रही घास](https://www.amritvichar.com/media/2024-07/8-(7).jpg)
अंकेक्षक कुमार/बहराइच, अमृत विचार। जंगल से सेट चहलवा गांव के बाहर बाहर नदियों के बाढ़ से बचाव के लिए करोड़ों की लागत से पर्क्यूपाइन बनाया जा रहा है। जिसका कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है। कार्य भी मानक विहीन करवाया जा रहा है। बालू के स्थान पर घास बोरी में भरी जा रही है।
कतर्निया घाट वन्यजीव प्रभाग से सटे कई गांवों में प्रतिवर्ष बाढ़ तबाही मचाती है। जिससे जंगल से सटे गांव के लोगों का काफी नुकसान होता है। नुकसान और जान्हा को देखते हुए तत्कालीन सांसद अक्षयवर लाल गोंड ने बाढ़ खंड के अधिशाषी अभियंता से वार्ता कर चहलवा गांव के पास परक्यु पाइन निर्माण की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री से भी वार्ता कर ग्रामीणों की समस्या से अवगत कराया था। जिस पर शासन ने बाढ़ खंड विभाग को ग्रामीणों के सुरक्षा के लिए पर के पर्क्यूपाइन बांध निर्माण के निर्देश दिए थे। इससे ग्रामीणों की खेती योग जमीन और मकान को कटने से बचाया जा सकता है। इसके लिए सरकार की ओर से 4.21 करोड़ रूपये बजट जारी किया गया है। इस बजट से आठ माह से कार्य चल रहा है। बारिश शुरू हो गई है। तराई क्षेत्र पानी से भरने लगा है। लेकिन अभी तक इसका निर्माण पूरा नहीं हुआ है। अभी दो माह से अधिक समय लगने की उम्मीद अधिकारी जता रहे हैं। मालूम हो कि अगस्त माह से बाढ़ शुरू हो सकती है। ऐसे में काफी नुकसान हो सकता है। इस मामले में अवर अभियंता कृष्ण कुमार वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मानक के अनुसार कार्य हो रहा है।
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एक्स आकार का बनता है परक्यूपाइन
पॉर्क्युपाइन एक आक का सीमेंटेड बनवाया जाता है इसके बीच में बालू भरी बोरियां रखी जाती है जिससे कि पानी के बहाव से कटान को रोका जा सके। लेकिन बोरी में बालू के स्थान पर घास भर कर उसे लगाया जा रहा है। घास सड़ने के बाद स्वयं पानी का रिसाव शुरू हो जायेगा।
बाराबंकी में बना सीमेंटेड परक्यूपाइन
नदी के काटन को पर्क्यूपाइन से रोका जा सकता है। इसके लिए बाढ़ खंड विभाग को यहीं पर निर्माण करवाना चाहिए लेकिन संबंधित ठेकेदार द्वारा मानक भी निर्माण बाराबंकी में करवा कर उसे यहां लाया गया है इसके बाद उसका उपयोग किया गया है। इसको लेकर बाढ़ खंड विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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— Amrit Vichar (@AmritVichar) July 3, 2024
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