बदायूं: बीएसए कार्यालय से गायब हो गईं मृतक आश्रित शिक्षक की पत्रावलियां, विभाग ने खड़े किए हाथ

बदायूं: बीएसए कार्यालय से गायब हो गईं मृतक आश्रित शिक्षक की पत्रावलियां, विभाग ने खड़े किए हाथ

बदायूं, अमृत विचार। बेसिक विभाग में मृतक आश्रित शिक्षक के पद पर गलत चयन किए जाने के आरोप की सीबीसीआईडी द्वारा जांच की जा रही है। जिसकी पत्रावलियां मांगी गई हैं। जिससे जांच को आगे बढ़ाया जा सके। परंतु जांच को लटकाने के लिए नियुक्ति पत्रावली को ही गायब कर दिया गया है।

इतना ही नहीं जांच एजेंसी को कागजात तक मुहैया नहीं कराए जा रहे हैं। विभाग ने पत्रावलियां उपलब्ध कराने से हाथ खड़े कर दिए हैं। बल्कि एक पत्र जांच एजेंसी को भेजा है। जिसमें कहा गया है कि पटल हस्तांतरित करने वाले एक बाबू की मौत हो चुकी है। कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इन सभी के द्वारा पटल हस्तांतरित करने के दौरान पूरी पत्रावलियों को उपलब्ध नहीं कराया।

बेसिक शिक्षा विभाग में एक व्यक्ति ने मृतक आश्रित शिक्षक के पद पर गलत तरीके से चयन कर नौकरी देने का आरोप लगाया था। आरोप था कि शिक्षक के माता पिता दोनों सरकारी सेवा थे। माता पिता परिषदीय स्कूल में कार्यरत थे। माता की मृत्यु के बाद बेटे को धोखाधड़ी कर शिक्षक पद पर नौकरी दे दी गई।  

इसे देखते हुए तत्कालीन अधिकारियों द्वारा बीईओ से जांच कराई थी। जिसमें मामला सही पाया गया। परंतु कार्रवाई नहीं हो सकी। इसके बाद शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त को शिकायती पत्र भेजकर जांच का आग्रह किया था। लोकायुक्त द्वारा सीबीसीआईडी को जांच सौंप दी। जांच पिछले आठ साल से लंबित है। जांच एजेंसी कई बार पत्रावलियां उपलब्ध कराने के लिए बीएसए को पत्र जारी कर चुका है। लेकिन आज तक पत्रावलियों को उपलब्ध नहीं कराया गया है। विभाग की ओर से जांच एजेंसी को भेजे गए पत्र में कहा जाता रहा है पत्रावलियों को नष्ट कर दिया गया। 

एक बार फिर से जांच एजेंसी सीबीसीआईडी द्वारा रिमाइंडर भेजकर पत्रावली उपलब्ध कराने को कहा है। जिसमें जांच एजेंसी ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी से नियुक्ति पत्रावली नष्ट करने संबंधी अभिलेख उपलब्ध कराने की मांग की है। परंतु विभाग द्वारा जांच एजेंसी को पत्रावलियां उपलब्ध नहीं कराईं। 

बताते हैं कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी द्वारा जांच एजेंसी को एक पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि पूर्व में मृतक आश्रित पटल देख रहे एक लिपिक की मौत हो चुकी है। कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। और कुछ का विभाग से स्थानांतरण हो चुका है। इन सभी के द्वारा मृतक आश्रित नियुक्ति संबंधित पूरी पत्रावलियों को उपलब्ध नहीं कराया था। कुछ पत्रावलियां पूर्व के अधिकारियों के समय में नष्ट कर दी गईं। ऐसे में सवाल उठता है कि विभागीय अधिकारियों की मंशा जांच को  लटकाए रखने की बनी हुई है। जिसकी वजह से मृतक आश्रित पर गलत चयन किए जाने संबंधी जांच पूरी नहीं हो पा रही है।

पत्रावलियां नष्ट करने का यह है प्रावधान
जर्जर हो चुकी पत्रावलियों को नष्ट करने के लिए एक समिति की गठन किया जाता है। कौन सी पत्रावली नष्ट की जा रहीं हैं उनकी सभी की एक पत्रावली तैयार की जाती है। जिससे पता चलता रहे कि इन अधिकारियों की निगरानी में संबंधित तिथि को पत्रावलियां नष्ट की गईं। परंतु विभाग के पास पत्रावलियां नष्ट करने संबंधी कोई प्रमाण नहीं है। इन्हीं प्रमाणों की मांग जांच एजेंसी कर रही है।

मृतक आश्रित शिक्षक पद पर गलत चयन को लेकर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान द्वारा जांच की जा रही है। संबंधित एजेंसी के पुलिस अधीक्षक ने मृतक आश्रित संबंधी पत्रावलियों को मांगा है। लेकिन पूर्व में जिन लिपिकों द्वारा मृतक आश्रित पटल देखा जाता रहा है उनके द्वारा पूरी पत्रावलियों को उपलब्ध नहीं कराया गया। जिसका जिक्र करते हुए जांच एजेंसी को जवाब भेजा गया है।-स्वाती भारती बीएसए

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