एक और उपलब्धि

एक और उपलब्धि

भारत ने एक और बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। यह सफलता देश ने रक्षा क्षेत्र में हासिल की है। रक्षा उत्पादन में भारत ने नया रिकार्ड बनाया है। देश ने 2023-24 में रक्षा उत्पादन में अब तक की सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की है, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 16.8 प्रतिशत बढ़कर 1,26,887 करोड़ रुपये रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान रक्षा उत्पादन का मूल्य 1,08,684 करोड़ रुपये था। रक्षा उद्योग क्षेत्र भारत में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण सामरिक और आर्थिक दोनों ही कारणों से महत्वपूर्ण है इसलिए यह सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत रहा है। शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार भारत को अग्रणी वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए और अधिक अनुकूल व्यवस्था सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कहा जा सकता है आत्मनिर्भरता प्राप्त करने पर ध्यान देते हुए पिछले 10 वर्षों के दौरान सरकार द्वारा किए गए विभिन्न नीतिगत सुधारों/पहलों और व्यापार करने में आसानी से जुड़े कदमों के कारण यह उपलब्धि अर्जित हुई है। स्वदेशीकरण के प्रयासों को निरंतर आगे बढ़ाया गया है। बढ़ते रक्षा निर्यात ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन की समग्र वृद्धि में जबरदस्त योगदान दिया है। आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्ण मूल्य के संदर्भ में सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों ने रक्षा उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की है। 

पिछले पांच वर्षों के दौरान (2019-20 से), रक्षा उत्पादन का मूल्य लगातार बढ़ता रहा है और इसमें 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। महत्वपूर्ण है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान रक्षा निर्यात ने 21,083 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 15,920 करोड़ रुपये का था। सरकार का मानना है कि इस क्षेत्र में औद्योगिक और तकनीकी विकास ने अकादमिक और शोध संस्थानों द्वारा विकसित तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ भारतीय उद्योग की क्षमता का दोहन करके इस उद्देश्य को प्राप्त करना संभव बनाया है।

इस तरह मेक इन इंडिया कार्यक्रम वर्ष-दर-वर्ष नई उपलब्धियां हासिल कर रहा है। रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास तथा उत्पादन दोनों में निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे स्वदेशीकरण में वृद्धि होगी। सुरक्षा तंत्र को मजबूती मिलेगी ही और यह देश को आत्मनिर्भर भी बनाएगा।