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जेल की चहारदीवारी में शिक्षा की चमक : बैरक में अपने किए की सजा भुगत रहे कैदी परास्नातक तक कर रहे पढ़ाई
जेल की चहारदीवारी के अंदर किताबों में खो रहे तमाम बंदी
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नैनी, अमृत विचार : केंद्रीय कारागार नैनी में बंद तमाम कैदियों के अंदर शिक्षा के प्रति प्रेम बढ़ रहा है। जेल से बाहर बेहतर जीवन जी सकें इसके लिए वह छोटी कक्षा से लेकर परास्नातक की पढ़ाई करने के लिए चहारदीवारी के अंदर किताबों में खो रहे हैं। इसके लिए जहां जेल प्रशासन अपनी ओर से प्रयास कर रहा है वहीं स्वयंसेवी संस्थाएं भी उनकी मदद कर रहा है।
सेंट्रल जेल नैनी में बंदियों में शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ रहा है। पुरुषों के साथ ही महिला बंदी भी शिक्षा के सहारे अपना जीवन बदलने की मुहिम में लगे हुए हैं। हत्या लूट, डकैती, चोरी समेत अन्य संगीन अपराध में सजा काट रहे बंदी जेल में चहारदीवारी के अंदर किताबों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि जेल से बाहर आने पर वह शिक्षा के कारण ही समाज की मुख्य धारा से जुड़ पाएंगे। जेल में करीब 1700 बंदी है। बंदियों को उनकी पढ़ाई के हिसाब से उसकी काउंसलिंग की जाती है। इनमें कई बंदी आगे पढ़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। फिर योग्यतानुसार स्कूल या विश्वविद्यालय में दाखिला करा दिया जाता है।
दसवीं-बारहवीं में पढ़ाई के लिए जुलाई-अगस्त में इच्छुक बंदियों से आवेदन करवाया जाएगा। बताया जाता है कि इन कक्षाओं के लिए नैनी, फतेहपुर, चित्रकूट, काैशाम्बी, प्रतापगढ़, हमीरपुर, बांदा समेत अन्य जगहों की जेल में अगर कोई आवेदन करता है तो उसकी परीक्षा जिला बांदा जेल में करवाई जाती है। यानी यहां के जेलों में बंद अगर कोई बंदी दसवीं-बारहवीं की परीक्षा देने चाहता है ताे उसे बांदा के जेल में ही परीक्षा देना पड़ेगा। इसके अलावा नैनी सेंट्रल जेल में शिव नाडर फाउंडेशन की तरफ से भी बंदियों को साक्षर करने की एक मुहिम चलाई जा रही है।
अबतक 24-25 के दो बैच में बंदियों को साक्षर प्रमाणपत्र दे दिया गया है। जबकि 25 बंदियों के एक बैच की पढ़ाई चल रही है। कंप्यूटर और प्रोजेक्टर से 45 दिनों के कोर्स काे पूरा करने के लिए प्रत्येक सोमवार से शनिवार रोजाना दो घंटे क्लास चलती है। इनमें 18 से लेकर 80 वर्ष उम्र के बंदी शामिल है। कुल तीन बैच में 74 महिला पुरुष बंदी को चिन्हित किया गया है।
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