पीलीभीत: 16 दिन चली जांच...खामियों की मिली भरमार, कार्रवाई के नाम पर प्रधान-सचिव को सिर्फ नोटिस जारी

पीलीभीत: 16 दिन चली जांच...खामियों की मिली भरमार, कार्रवाई के नाम पर प्रधान-सचिव को सिर्फ नोटिस जारी

पीलीभीत, अमृत विचार:  निराश्रित गोवंशों को संरक्षण देने के नाम पर करोड़ों खर्च करने वाली गोशालाएं भी अब बेजुवानों के कब्रगाह बनतीं जा रहीं हैं। भूख और इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे इन गोवंशों की दुर्दशा देखने के बाद भी जिम्मेदार आंखें मूंदे हैं। इतना जरुर है कि जब कभी गोवंशों की मौत या फिर कोई अन्य बड़ी खामी पाई जाती है तो जिम्मेदार कार्रवाई के नाम पर नोटिस देकर मामले को रफा-दफा कर देते हैं। 

कुछ ऐसा खेल देवीपुरा गोशाला में चल रहा है। इस गोशाला में शिकायत के बाद जांच में धनराशि से लेकर भूसा सप्लाई तक के बिलों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी उजागर हुई है। जांच रिपोर्ट डीएम को भेजी गई थी। अब डीएम ने प्रधान और सचिव को दोषी ठहराते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

देवीपुरा गोशाला में हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं द्वारा रात के अंधेरे में गोवंशों की बिक्री एवं पशुओं की संख्या अधिक दर्शाने को लेकर की गई शिकायत के बाद सीडीओ धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने जांच टीम को जांच करने के निर्देश दिए थे। जांच टीम में शमिल डिप्टी सीवीओ और बीडीओ मरौरी ने मौके पर पहुंचकर जांच की तो पशुओं की संख्या कम पाई गई थी वहीं मृत पशुओं को दफनाने में लापरवाही उजागर हुई थी। 

जांच के बाद टीम ने ग्राम प्रधान एवं सचिव को दोषी पाते हुए रिपोर्ट सीडीओ को सौंपी थी। इधर देवीपुरा गोशाला की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद सीडीओ ने साल भर का आडिट करने के निर्देश दिए। आडिट के दौरान गोशाला में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई। इधर मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम संजय कुमार सिंह ने सीडीओ को जांच कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। 

सीडीओ द्वारा जांच रिपोर्ट डीएम को प्रेषित की गई। जांच रिपोर्ट के अनुसार गोशाला में मृत पशुओं को दफनाने में लापरवाही की पुष्टि हुई। गोवंशों की गणना के दौरान पांच गोवंश कम पाए गए। वही गोशाला के आडिट में के दौरान बड़े पैमाने पर खामियां पाई गई। जिस पर डीएम ने ग्राम प्रधान छोटेलाल को नोटिस जारी किया है। जारी नोटिस में 15 दिन के अंदर अपना स्पष्टीकरण डीपीआरओ कार्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। 

वहीं डीएम ने प्रभारी डीडीओ को पंचायत सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निदेश दिए हैं।  जबकि बिना बिल-बाउचर कर दिया हजारों का भुगतान किया गया। भूसा-चोकर स्टाक रजिस्टर में भी 56653 रुपये का अंतर मिला। मौतें तो हुई, मगर पोस्टमार्टम रजिस्टर में दर्ज नहीं मिलीं थी।

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