Exclusive: जागा मुशावरत; RSS की तर्ज पर देशभर में अभियान, मुसलमानों को करेगा चुनाव के बारे में जागरूक

1964 में गठित इस संगठन ने कभी कांग्रेस को घुटनों पर ला दिया था

Exclusive: जागा मुशावरत; RSS की तर्ज पर देशभर में अभियान, मुसलमानों को करेगा चुनाव के बारे में जागरूक

कानपुर, जमीर सिद्दीकी। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद मुस्लिम संगठनों का एक संयुक्त संगठन आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत सक्रिय हो गया है। आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत आरएसएस की तर्ज पर काम करेगा और सियासी पिलर भी तैयार करेगा। इस संगठन का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव के बाद परिवर्तन आ चुका है। 

वैसे तो ये संगठन 60 साल पुराना है लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद फिर मुशावरत सक्रिय हो गया है जिसके माध्यम से मुस्लिमों को जगाने का एक वृहद अभियान छेड़ा गया है। इसकी शुरुआत 9 जून को दिल्ली बैठक से हुई है, दूसरी बैठक लखनऊ में 25 जून को होगी जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। ये संगठन आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से भी दो हाथ आगे निकलने की कोशिश में है। 

1964 में आल इंडिया  मुस्लिम मजलिस मुशावरत में जमाअते इस्लामी हिंद, मुस्लिम मजलिस, मुस्लिम लीग, मुस्लिम कांफ्रेंस (अब जम्मू में नेशनल कांफ्रेंस) समेत कई बड़े राष्ट्रीय स्तर के संगठन शामिल हुए थे। अब ये संगठन एक बार फिर मुसलमानों की नुमाइंदगी करने के लिए मैदान में आ गया है। दिल्ली में 9 जून को डॉक्टर जफरुल इस्लाम खां को इसका अध्यक्ष चुना गया है। इस्लाम दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन हैं। लखनऊ में होने वाले कार्यक्रम के लिए कानपुर स्थित फैज-ए-आम इंटर कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रोफेसर मोहम्मद सुलेमान को प्रमुख चुना गया है। 

विपक्षी पार्टियों की जुबान खुलवाएंगे 

आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत ने तय किया है कि यदि किसी मुसलमान, दलित, पिछड़ों पर किसी प्रकार का अत्याचार होगा तो वे विपक्षी पार्टियों को खामोश नहीं रहने देंगे, उन्हें जुबान खोलने पर मजबूर करेंगे। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जब कभी मुसलमानों पर कोई मुसीबत आती है तो वह ये कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि बोर्ड का काम शरई मसलों को हल करना है। 

मुशावरत के एजेंडा में शामिल मुद्दे

-प्रत्येक राज्य में मुशावरत की टीम का गठन करना प्राथमिकता में है।
-देशभर में छूटे मतदाताओं के नाम का मतदाता सूची में शामिल कराना।
-मुसलमानों को चुनाव के बारे में जागरूक करना।
-मतदान के दिन होटलों, चाय-पान की दुकानों पर गपशप करने वालों को मतदानस्थल तक पहुंचाने के लिए टीम बनेगी। 
-चुनाव के फायदे और नुकसान दोनों समझाने के लिए घर-घर जाएगी टीम
-संसद में विपक्ष काफी मजबूती से उभरा है, ऐसे में किसी भी समस्या का समाधान कराने के लिए विपक्षी पार्टियों से भी संपर्क करेंगे। 

मुशावरत क्यों गठित हुआ था

1964 में जमशेदपुर में 22 युवकों को जिंदा जला दिया गया था, नेहरू की टीम में कांग्रेस के प्रमुख नेता सैयद महमूद को इस घटना ने बेचैन कर दिया। उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर पूरे देशभर के मुस्लिम संगठनों को मिलाकर आल इंडिया  मुस्लिम मजलिस मुशावरत तैयार की और राजनिति में कूद गए। 

उसके बाद 1967 में लोकसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस को हराने के लिए आल इंडिया  मुस्लिम मजलिस मुशावरत ने 9 सूत्रीय घोषणापत्र तैयार किया जिसके नतीजे में यूपी, महाराष्ट्र, बिहार समेत अन्य राज्यों में कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ। जिससे उसे कुछ पार्टियों को मिलाकर सरकार बनाना पड़ा जिसमें आल इंडिया  मुस्लिम मजलिस मुशावरत के लोग शामिल थे। 
         
आल इंडिया मुस्लिम मजलिस मुशावरत की पहली मीटिंग दिल्ली में हो चुकी है, 25 जून को लखनऊ में मुशावरत की मीटिंग प्रस्तावित है, जिसमें कई बड़े मुस्लिम संगठन शामिल होंगे। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के भी कुछ लोग शामिल होंगे। मुसलमानों के छोटे से बड़े संगठनों को मिलाकर एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन तैयार किया जा रहा है। -  मोहम्मद सुलेमान, कार्यक्रम प्रमुख

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