पीलीभीत: गोवंश की मौत भूल गए जिम्मेदार...स्टाफ हटा न ही गौशाला का सत्यापन, विकास भवन में ही घूम रही पत्रावली 

पीलीभीत: गोवंश की मौत भूल गए जिम्मेदार...स्टाफ हटा न ही गौशाला का सत्यापन, विकास भवन में ही घूम रही पत्रावली 

पीलीभीत, अमृत विचार: जिला मुख्यालय से पांच किमी की दूरी पर स्थित देवीपुरा गोशाला में गोवंश की मौत और तस्करी के गंभीर आरोप लगने के बाद शुरू कराई गई जांच सख्ती के दावों के बीच ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। जांच में लापरवाही उजागर होने के बाद  जिम्मेदारों ने पहले स्टाफ पर ठीकरा फोड़ते हुए बदलाव करने की बात कहीं। 

इसका संज्ञान लेते हुए अन्य गोशाला के सत्यापन का  राग अलापा, लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी कुछ भी शुरू तक नहीं हो सका है। बताते है कि मामले की पत्रावली भी अभी तक विकास भवन के दो जिम्मेदारों के दफ्तरों के बीच फंसी है। इसमें कोई निर्णय छोड़िए डीएम के पास तक नहीं भेजा जा सका है। इतना जरूर इससे जुड़े लोग भी शांत हो गए है।

बता दें कि  जनपद में निराश्रित गोवंशों के आश्रय देने के लिए जिले में 57 गोशालाएं स्थापित की है। वर्तमान में इन गोशालाओं में करीब 5548 गोवंश संरक्षित हैं। इन गोशालाओं में पशुओं के चारे आदि को लेकर एक बड़ा बजट दिया जाता है।  इसके बावजूद गोशालाओं में अकसर गोवंशों की मौतों के मामले सामने आ रहे हैं। 

यह दीगर बात है कि जब इन गोशालाओं में गोवंश की मौत का मामला सामने आता है तो पशु चिकित्साधिकारियों द्वारा पशुओं की मौत की वजह शारीरिक रूप से बेहद कमजोर होना बताकर मामले में रफा-दफा कर दिया जाता है। इन्हीं में से एक अकसर सुर्खियों में रहने वाली देवीपुरा गोशाला हाल ही में  एक बार फिर सुर्खियों में हैं। नौ जून को हिंदू महासभा कार्यकर्ताओं की सूचना मिली थी कि रात के अंधेरे में गोवंशो का बेचा जाता है। 

इससे गोवंशों की संख्या लगातार कम हो रही है, लेकिन अभिलेखों में संख्या बढ़ाकर दशाई जा रही है।इस शिकायत में पहले सीडीओ के खिलाफ भी आरोप लगाए गए थे। फिर मामले का संज्ञान लेते हुए  सीडीओ  ने दो सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच कराई। जांच टीम में शामिल डिप्टी सीवीओ डॉ. लक्ष्मीप्रसाद एवं बीडीओ मरौरी मृदुला ने मौके पर पहुंचकर जांच की तो उस दौरान पशुओं की संख्या अभिलेख में दर्ज पशु सख्या से कम पाई गई थी। 

वहीं मृत पशुओं के निस्तारण में बड़ी लापरवाही सामने आई थी। जांच टीम ने प्रधान एवं सचिव की लापरवाही पाते हुए जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंप दी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद सीडीओ ने प्रधान एवं सचिव को नोटिस भेज जवाब तलब करने के साथ बीडीओ मरौरी को गोशाला के पूरे स्टाफ को हटाने के साथ नए स्टाफ की तैनाती करने के निर्देश दिए थे। 

इस मामले में डीएम संजय कुमार सिंह ने भी सीडीओ से रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। बताते है कि इसके बाद भी अभी तक एक्शन नहीं हो सका है। इतना ही नहीं अन्य गोशाला के सत्यापन को लेकर किए गए दावों को भी धरातल पर शुरू नहीं किया जा सका है। यह हाल तब है जब मामला गोवंश से जुड़ा है । फिलहाल अफसर जल्द मामले में कारवाई पूरी कराने के दावे कर रहे है। 

तो एक कर्मचारी की भूमिका संदिग्ध
इस मामले में अभी तक कोई एक्शन न लिए जाने पर तमाम तरह की चर्चाएं तेज है। इसके विकास भवन के एक चर्चित कर्मचारी की भूमिका से जोड़कर चर्चाएं तेज हो गई है। फिलहाल इसकी हकीकत तो जिम्मेदार ही बता सकते है। फिलहाल इस मामले में मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। 

आखिर कहां जा रहा हरा चारा
बता दें कि गोशालों में आश्रित गोवंश के लिए हरा चारा मिल सके।  इसके लिए चार वर्ष पूर्व तत्कालीन डीएम पुलकित खरे ने चारागाह की जमीन का चयन कराकर गोशाला के लिए हरा चारा की बुवाई कराई थी। उनके रहते तो सब कुछ ठीक चला। फिर उनके तबादले के बाद मुहिम भी ठप पड़ गई। दावे तो कई किए जा रहे है लेकिन हकीकत तो जिम्मेदारों को भी पता नहीं। इस पर कोई बोलने को भी कोई जिम्मेदार तैयार नहीं है।

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