Kanpur: सीएसए में किसानों को मिला प्रशिक्षण, अच्छी उपज के लिए वैज्ञानिकों ने बताया यह उपाय...

Kanpur: सीएसए में किसानों को मिला प्रशिक्षण, अच्छी उपज के लिए वैज्ञानिकों ने बताया यह उपाय...

कानपुर, अमृत विचार। अच्छी उपज के लिए गर्मी में खेत की गहरी जुताई करें और खेत को खुला छोड़ दें। मंगलवार को सीएसए के वैज्ञानिकों की अगुवाई में गर्मी की गहरी जुताई का प्रशिक्षण किसानों को दिया गया। 

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसए) के कुलपति डॉ.आनंद कुमार सिंह के निर्देश पर कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर द्वारा ग्राम औरंगपुर गहदेवा में किसानों को गर्मी की गहरी जुताई का प्रशिक्षण दिया गया। कृषक प्रशिक्षण के अवसर पर मृदा वैज्ञानिक डा. खलील ख़ान ने बताया कि ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अपने खाली खेतों में अवश्य करें। उन्होंने बताया कि आगामी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए रबी फसल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को खाली रखना लाभप्रद होता है। 

जहां तक संभव हो सके किसान मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर दें। खाली खेत में गहरी जुताई मई में अवश्य कर लें। इस गहरी जुताई से जो ढेला बनते हैं वे धीरे-धीरे हवा व बरसात के पानी से टूटते रहते हैं। साथ ही इससे मिट्टी की सतह पर पड़ी फसल अवशेष की पत्तियां पौधों की जड़ें एवं खेत में उगे हुए खरपतवार आदि नीचे तक जाते हैं। जो सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में कार्बनिक खादों एवं जीवांश पदार्थ की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं। 

इससे भूमि में वायु संचार एवं जल धारण क्षमता बढ़  जाती है। गहरी जुताई से गर्मी में तेज धूप के कारण कीड़े मकोड़े एवं बीमारियों के जीवाणु खत्म हो जाते हैं। मृदा वैज्ञानिक ने बताया कि ग्रीष्मकालीन जुताई से जलवायु का प्रभाव सुचारु रुप से मिट्टी में होने वाली प्रक्रियाओं पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में मौजूद खनिज अधिक सुगमता से पौधे भोजन के रूप में ले लेते हैं। इस अवसर पर केन्द्र के प्रभारी डा.अजय कुमार सिंह ने बताया कि किसानों को गर्मी की जुताई दो-तीन वर्ष में एक बार अवश्य कर देनी चाहिए। 

बताया कि अनुसधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की जुताई से भूमि कटाव में 66.5 फीसद तक की कमी आई है। पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर शशिकांत ने पशुओं में होने वाली बीमारियों एवं उनके प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डा. निमिषा अवस्थी ने लघु उद्योग के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षण में गौरव शुक्ला ने सहयोग प्रदान किया।

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