प्रयागराज: हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी के हत्यारोपी को जमानत देने से हाई कोर्ट ने किया इनकार

प्रयागराज: हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी के हत्यारोपी को जमानत देने से हाई कोर्ट ने किया इनकार

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी को लेकर हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश रचने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह अत्यधिक सांप्रदायिक घृणा का मामला है, जिसमें मृतक की दिनदहाड़े क्रूर हत्या कर दी गई। मृतक पर न केवल चाकू से कई घाव किए गए बल्कि उसका गला भी काट दिया गया और आग्नेयास्त्र का भी प्रयोग किया गया। इसके साथ ही मुख्य हमलावरों की पहचान दो गवाहों द्वारा की गई है। हमले के तरीके और बड़ी साजिश को देखते हुए गवाहों को प्रभावित किए जाने की उचित आशंका होने के कारण आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने कथित साजिशकर्ता सैयद असीम अली को जमानत देने से इनकार करते हुए पारित किया। 

कोर्ट ने आगे कहा कि इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि आरोपी अपराध में शामिल था और एक बड़ी साजिश का हिस्सा था। उसे मुख्य हमलावरों को गिरफ्तार किए जाने की स्थिति में कानूनी सहायता देने के लिए विशिष्ट भूमिका सौंपी गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस बात के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं कि आरोपी ने घटना से ठीक पहले मुख्य हमलावरों को कई बार फोन किया। हालांकि याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सह अभियुक्त मोहम्मद जाफर सादिक कुप्पेलूर को इस न्यायालय ने जुलाई 2023 में जमानत दे दी है और दूसरे सह अभियुक्त फैजान की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।

मालूम हो कि पहले आरोपी व्यक्तियों द्वारा दाखिल एक स्थानांतरण आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश द्वारा मुकदमे को लखनऊ पीठ से इलाहाबाद पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया था। बता दें कि पुलिस स्टेशन नाका हिंडोला, लखनऊ में आईपीसी की धारा 302, 120 बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 के तहत दर्ज प्राथमिकी में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि दो अज्ञात हमलावर उसकी उपस्थिति में मृतक के कार्यालय में आए थे। कुछ देर बाद बातचीत की कोई आवाज न आने पर वह कमरे में गई तो उसने अपने पति को घायल अवस्था में देखा, जिन पर चाकू से कई वार और बंदूक से हमला किया गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई। अंत में कोर्ट ने रिकॉर्ड में दर्ज तथ्यों से निष्कर्ष निकाला कि यह घोर सांप्रदायिक नफरत का मामला है। वर्ष 2016 में मृतक के खिलाफ एक फरमान जारी किया गया था, जिसमें विशेष धर्म के पैगंबर के संबंध में टिप्पणी करने के बाद मृतक को मारने वालों को एक मोटी रकम अदा करने की बात कही गई थी।

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