Exclusive: बिगड़ी जीवन शैली, बदला खानपान 53 फीसदी जवान हड्डियों से परेशान... विटामिन-डी की कमी के शिकार भी हो रहे लोग
शहर में 77 फीसदी लोग विटामिन-डी की कमी के शिकार
कानपुर, (मनोज त्रिपाठी)। लाइफ स्टाइल में बदलाव और फ्लैट संस्कृति के चलते अधिकतर लोग सुबह का सूरज नहीं देख पाते हैं, जबकि इस समय सूरज की किरणों से शरीर को सबसे ज्यादा विटामिन-डी मिलता है। देश की एक प्रतिष्ठित डायग्नोस्टिक्स लैब श्रृंखला के सर्वे के मुताबिक भारत की करीब 75 फीसदी आबादी में विटामिन-डी की कमी है, लेकिन कानपुर में यह आंकड़ा और डराने वाला है।
यहां 77 फीसदी से कुछ अधिक लोग विटामिन-डी की कमी के शिकार हैं। यह संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है। विटामिन-डी शरीर की कई प्रक्रियाओं में केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसी कारण चिकित्सा विशेषज्ञ इसे मल्टीटास्किंग विटामिन मानते हैं, जो कई बीमारियों के निवारण में मददगार होने के साथ अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है।
आरामदेह दिनचर्या के कारण ही विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी से शहरी क्षेत्र में जहां 35 साल से ज्यादा आयु के 53 फीसदी से ज्यादा लोग गठिया की बीमारी से परेशान हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में गठिया पीड़ितों की संख्या इसके मुकाबले लगभग आधी है। हम जो कुछ भी खाते-पीते हैं, उससे मिलने वाले पोषक तत्वों में विटामिन-डी भी होता है। इससे ही हड्डियों में पाया जाने वाला कैल्शियम बनता है।
लेकिन असंतुलित खानपान और पौष्टिक आहार की कमी से लोगों के शरीर में विटामिन-डी कम बन रहा है, जिससे हड्डियां कमजोर हो रही हैं। इसके चलते लोगों को हड्डियों में दर्द, जोड़ों में दिक्कत, चलने-फिरने में परेशानी, उठने और बैठने पर घुटने चटकने जैसी शिकायतों का सामना करना पड़ रहा है।
एक विटामिन-डी के फायदे हजार
चिकित्सकीय अध्ययनों के अनुसार विटामिन-डी कैंसर, हृदय रोग, अल्जाइमर, मधुमेह, अवसाद, आस्टियोपोरोसिस और मोटापे जैसी बीमारियों को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है। इस विटामिन की कमी से शरीर में थकान, बाल झड़ना, मांसपेशियों में दर्द, चिंता, नींद की कमी, जख्म धीमी गति से भरने के अलावा इम्युनिटी कमजोर होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
चिकित्सकीय सलाह…
शरीर में विटामिन-डी की मात्रा कम होने से कैल्शियम हड्डियों तक नहीं पहुंच पाता है। इसके लिए सूरज की रोशनी के साथ दूध, दही, पनीर, दाल और चना जैसे खाद्य पदार्थ भोजन में अवश्य शामिल करें। नान वेजेटेरियन अपने भोजन में सी-फूड और मछली को शामिल कर सकते हैं। यदि आप रोज धूप लेते हैं और मोटे अनाज जैसे मक्का, जौ, चना, बाजरा, ज्वार का सेवन करते हैं, तो हड्डी से संबंधित दिक्कत होने की संभावना कम हो जाती है।
शरीर में विटमिन-डी नहीं तो किसी काम का नहीं कैल्शियम
सूर्य की किरणें ही विटामिन डी का सबसे बड़ा प्राकृतिक भंडार हैं। दूध व उससे जुड़े उत्पाद में सबसे अधिक कैल्शियम होता है, जिन्हें शरीर पूरी तरह एब्जॉर्ब करता है, इसलिए बच्चों को दूध पिलाकर धूप में जरूर खेलने दें। इससे हड्डियां मजबूत होंगी। अगर शरीर में विटमिन-डी नहीं है तो कैल्शियम हड्डी में संग्रहित नहीं होता है।
आधे से पौन घंटे की धूप लेना जरूरी
अस्थि रोग विशेषज्ञों का कहना है कि हड्डियों की मजबूती के लिए 30-45 मिनट की धूप बहुत जरूरी है। वृद्धावस्था में त्वचा में झुर्रियों की वजह से धूप में बैठने पर भी विटामिन डी नहीं बनता है।
घर-घर आरओ का पानी भी बढ़ा रहा समस्या
आरओ के पानी में शरीर के लिए जरूरी कैल्शियम व मैग्नीशियम जैसे तत्व नष्ट हो जाते हैं। एक शोध के मुताबिक इससे भी अस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
एक किलो वजन बढ़ने से घुटने पर छह गुना असर
चिकित्सकों के मुताबिक शरीर का एक किलो वजन बढ़ने पर घुटने पर छह किलो तक वजन का अधिक भार पड़ता है। इससे चलने फिरने में समस्या और बढ़ती है।
जवानी में बुढ़ापा हैं कमजोर हड्डियां
मजबूत हड्डियां शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं। यह शारीरिक संरचना प्रदान करने, अंगों की रक्षा, मांसपेशियों को समायोजित करने और कैल्शियम के भंडारण जैसे काम करती हैं। इससे शरीर सही ढंग से मूवमेंट कर पाता है। 30 साल की उम्र के बाद हड्डियां ज्यादा मात्रा में खनिजों को अवशोषित नहीं कर पाती हैं।
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