कानपुर में समाचार पत्र विक्रेता की मां की आंख से दो लोगों की दुनिया होगी रोशन… इनके प्रयास से अब तक 414 लोगों को मिल चुकी रोशनी

कानपुर में संतोष की आंखों से दो लोगों की दुनिया होगी रोशन।

कानपुर में समाचार पत्र विक्रेता की मां की आंख से दो लोगों की दुनिया होगी रोशन… इनके प्रयास से अब तक 414 लोगों को मिल चुकी रोशनी

कानपुर में संतोष की आंखों से दो लोगों की दुनिया रोशन होगी। समाचार पत्र विक्रेता की मां की मरणोपरांत आंखें दान।

कानपुर, अमृत विचार। समाचार पत्र विक्रेता की मां की आंखों से दो लोगों की जिंदगी एक बार फिर से रोशन हो सकेगी। मरणोपरांत उनकी आंखें जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को दान की गई। उनकी कार्नियां सुरक्षित की गई है, जिससे दो लोग की जिंदगी में फिर से उजाला हो सकेगा। कृष्णा नगरी में किए गए नेत्रदान में यह 207वां नेत्रदान है। 

कृष्णा नगर क्षेत्र में रामादेवी सेंटर के सबसे पुराने समाचार पत्र विक्रेता राजेंद्र भाटिया की मां संतोष भाटिया (73) का सोमवार सुबह 11 बजे स्वर्गवास हो गया। उन्होंने जीवन काल में मरणोपरांत नेत्रदान का संकल्प लिया था। मां का संकल्प पूरा करने के लिए बेटे राजेंद्र भाटिया ने पूर्व पार्षद व नेत्रदान प्रेरक मदन लाल भाटिया से संपर्क किया और जरूरी जानकारी साझा की।

नेत्रदान प्रेरक मदन लाल ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष व कॉर्निया ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ.शालिनी मोहन को सूचना दी l नेत्र रोग विभाग की टीम में शामिल डॉ. अजीता व डॉ. दीपक ने स्व. संतोष भाटिया की दोनों कॉर्निया सुरक्षित की, जिससे दो लोगों की जिंदगी में छाया अंधेरा दूर हो सकेगा।

नेत्रदान प्रेरक मदन लाल भाटिया ने बताया कि करीब सात साल पहले स्व. संतोष भाटिया के पति श्रीकिशन चंद भाटिया का भी मरणोपरांत नेत्रदान परिजनों ने कराया था। समाचार पत्र विक्रेता राजेंद्र भाटिया के परिवार से यह तीसरा नेत्रदान है। नेत्रदान के समय बेटे राजेंद्र भाटिया, नाती राहुल भाटिया, पौत्र रौनक भाटिया, युवन भाटिया, नेत्रदान सहयोगी मनीष भाटिया व मोहित भाटिया आदि मौजूद रहे l इसके बाद उनका सिद्धनाथ घाट में अंतिम संस्कार किया गया।

414 लोगों को मिल चुकी रोशनी 

पूर्व पार्षद व नेत्रदान प्रेरक मदन लाल भाटिया ने बताया कि कृष्णा नगर का यह 207वां नेत्रदान है। मरणोपरांत नेत्रदान से अब तक 414 लोगों को रोशनी प्रदान की जा चुकी है l नेत्रदान की प्रक्रिया बहुत ही सरल व पारदर्शी है। कोई भी व्यक्ति मरणोपरांत अपने नेत्रों के दान का संकल्प ले सकता हैl

साथ ही इस नंबर 9336 1287 34 पर भी संपर्क कर सकता है। डॉ.शालिनी मोहन ने बताया कि नेत्रदान के बाद एक कृत्रिम आंख डाली जाती है। पलकें बंद हो जाती हैं और देखने में चेहरा खराब नहीं लगता है।

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