हाल-ए-रैन बसेरा: बिना दीवार के टीन शेड में संचालित रैन बसेरा में गुजर रही गरीबों की ठंड, जिम्मेदार बोले ये

उन्नाव में बिना दीवार के टीन शेड में संचालित रैन बसेरा में गुजर रही गरीबों की ठंड।

हाल-ए-रैन बसेरा: बिना दीवार के टीन शेड में संचालित रैन बसेरा में गुजर रही गरीबों की ठंड, जिम्मेदार बोले ये

उन्नाव में बिना दीवार के टीन शेड में संचालित रैन बसेरा में गुजर रही गरीबों की ठंड। रैन बसेरा में हवा रोकने को नहीं हैं दुरस्त दरवाजे-खिड़कियां। जिम्मेदार बोले, जल्द दुरुस्त कराई जाएंगी रैन बसेरा की कमियां।

उन्नाव, अमृत विचार। उन्नाव शहर के मोहल्ला किला स्थित टीन शेड के नीचे पहले से रह रहे सात परिवारों के बीच नगर पालिका परिषद 10 रजाई-गद्दे उपलब्ध करा रैन बसेरा संचालन की औपचारिकताएं पूरी करा रही है। रैन बसेरा के मानक पूरे करते हुए यहां तखत या फोल्डिंग चारपाई उपलब्ध कराने की जहमत तक नहीं उठाई गई है, जिससे छोटे-छोटे बच्चों सहित यहां रहने वालों को जमीन पर सनसनाती आती हवा से संघर्ष करते हुए सर्द रातें बितानी पड़ रही हैं।

किला बाजार स्थित टीन शेड के नीचे कभी सब्जी व घास बेचने वाले अपनी दुकान सजाकर बैठते थे। वहीं बकरीद सहित बाजार वाले दिन पशु बेचने पहंुचने वाले भी इसी शेड का इस्तेमाल करते थे। बाजार के तौर पर इस्तेमाल बंद होने पर गांवों से आने वाले बंजारा सहित अन्य फेरी कारोबारियों ने यहां डेरा जमाना शुरू किया।

इसलिए टीन शेड को बाउंड्री वाल से कवर कर शौचालय व स्नानागार का निर्माण इसे फैसल हसन गुड्डू रैन बसेरा का रूप दे दिया गया। यहां रहने वाले परिवार कुछ माह रहकर अपने गांव या कहीं और जाकर डेरा जमाने के बाद वापस फिर यहीं आ जाते हैं। यहां बनाए गए चूल्हे इन परिवारों को वापसी पर रहने की सुविधा उपलब्ध कराने की गारंटी बनते हैं।

शासन की ओर से रैन बसेरा में हवा रोकने के लिए दरवाजे-खिड़कियां दुरस्त होनी चाहिए, लेकिन यहां दोनों टीन शेड सामने से खुले हैं, जिससे रात की रातों में नश्तर सी चुभन वाली बर्फीली हवाएं यहां रहने वाले बड़ों ही नहीं उनके बच्चों को पूरी रात करवट बदलने को मजबूर किए रहती है।

इसके बावजूद सिर से टीन शेड छिनने के भय से वह असुविधाओं को लेकर मुह खोलना गवारा नहीं समझते हैं। एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शौचालयों में प्रकाश की व्यवस्था न रहने से रात के समय असुविधा होती है।

परिचय: इरफान। 

रैन बसेरा में मौजूद इरफान ने बताया कि वह बिछिया ब्लाक क्षेत्र के जमुनाखेड़ा गांव का निवासी है। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए यहां रहकर आसपास के गांवों में फेरी लगाकर सौंदर्य सामग्री बेचता है। गांव में भी कच्ची घास-फूस की झोपड़ी में रहना होता है।

परिचय: समीरा।

इसी तरह फेरी कारोबार करने वाले समीरा को भी असुविधाएं समझ नहीं आती हैं। वह कहता है कि टीन शेड का इस्तेमाल करने दिया जाना ही उनके लिए काफी है। वैसे यहां कुछ गद्दे-रजाई भी मिल गए हैं, जिससे रात काटना पहले से सुविधाजनक हो गया है।

बोले जिम्मेदार… 

नगर पालिका परिषद के प्रभारी ईओ व एसडीएम रणवीर सिंह ने दावा किया कि शौचालय की मरम्मत कराई जा चुकी है। ठंढ़ बढ़ने पर प्रवासियों की मांग पर उन्हें एबी नगर स्थित व्यवस्थित रैन बसेरा में स्थानांतरित करा दिया जाएगा। उन्होंने गद्दे-रजाई कम होने पर संख्या बढ़वाने का भरोसा भी दिलाया।

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