बरेली: एक और संकट… सरकारी दावों में भरपूर, खाद किसानों से दूर

बरेली, अमृत विचार। खाद न मिलने की वजह से जिलेभर में किसान त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। बारिश ने पहले ही धान की कटाई का समय बढ़ा दिया, अब धान किसी तरह से घर पहुंचे तो किसानों को अन्य फसलों की बुवाई करने के लिए खाद नहीं मिल रही है। नवंबर शुरू होते ही आलू, राई, …
बरेली, अमृत विचार। खाद न मिलने की वजह से जिलेभर में किसान त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। बारिश ने पहले ही धान की कटाई का समय बढ़ा दिया, अब धान किसी तरह से घर पहुंचे तो किसानों को अन्य फसलों की बुवाई करने के लिए खाद नहीं मिल रही है। नवंबर शुरू होते ही आलू, राई, सरसों और गेहूं की बुवाई शुरू हो गई।
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फसल बुवाई के लिए खाद की सख्त जरूरत है। इसको लेकर किसान परेशान हैं। अफसरों का दावा है कि कहीं कोई कमी नहीं है। समितियों पर भरपूर मात्रा में खाद का स्टॉक है। मगर हकीकत यह है सहकारी समितियों से किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। अफसरों की इस विरोधाभासी स्थिति में यह कोई बताने वाला नहीं है कि खाद भरपूर है तो किसान परेशान क्यों हैं और उन्हें जगह-जगह प्रदर्शन और लंबी लाइनें क्यों लगानी पड़ रही हैं।
वहीं निजी खाद विक्रेता जमकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। कुछ समितियों के सचिवों द्वारा गोदाम से उर्वरक का उठान न कराने से खाद की समस्या उत्पन्न हो रही है। शुक्रवार को अमृत विचार ने अपने ब्लॉकों के संवाददाताओं से समितियों की स्थिति दिखवाई, जिसमें भरपूर खाद का दावा करने वाले अफसरों की पोल खुलती नजर आई। समितियों पर खाद लेने के लिए किसानों की लंबी कतारें लगी मिलीं, वहीं तमाम किसान ऐसे भी मिले, जिन्हें तीन से चार बार चक्कर लगाने के बाद वापस लौटना पड़ा।
बहेड़ी में नहीं खाद, 11 समितियों पर मंगवाने को चेक भेजा है
विकास खंड की सभी साधन सहकारी समितियों पर खाद को लेकर सामान्य स्थिति है। आदलपुर, बंजरिया, भुड़िया समिति पर मंगलवार तक खाद का वितरण किया गया। एडीओ सहकारिता नीरज कुमार ने बताया कि सभी 11 साधन सहकारी समितियों पर खाद मंगवाने के लिए समय से चेक भेज दिए गए थे। ट्रांसपोर्टेशन में देरी नहीं हुई तो एक दो दिन में सभी जगह भरपूर मात्रा में खाद की उपलब्धता हो जाएगी। किसी भी साधन सहकारी समिति पर लाइन लगने की नौबत नहीं आई है। पिछले तीन चार दिनों में जिन समितियों पर खाद खत्म हुई, वहां के सचिवों ने किसानों को वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया कि जल्द ही खाद समितियों पर उतरने वाली है।
दो समितियों पर एक माह से नहीं, एक गाड़ी आई वो भी कम पड़ी
बिथरी चैनपुर- ब्लॉक की 11 समितियों में से तिरकुनिया, केसरपुर, बिथरी, इस्माइलपुर सहित 9 समितियों पर शुक्रवार को खाद किसानों को मिलीं। चंद्रपुर बिचपुरी की समिति बंद है। इटौआ बेनीराम में एक महीने से खाद नहीं पहुंची है। जिस कारण दोनों समितियों के किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। दूसरी समितियों या प्राइवेट दुकानदारों से अधिक मूल्य पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
बिथरी साधन सहकारी के सचिव महेंद्र पाल ने बताया कि खाद की मांग अधिक मात्रा में है। गुरुवार को एक गाड़ी खाद आयी थी, जो शुक्रवार को 250 किसानों को वितरित कर दी गयी है। खाद की डिमांड भेजी गई है। आने पर वितरित की जायेगी। केसरपुर समिति के सचिव होराम सिंह ने बताया कि उनके पास दो समितियों का चार्ज है, जिसमें केसरपुर में खाद वितरित की जा रही है। दूसरी समिति इटौआ बेनीराम में एक महीने से खाद नहीं आई है।
फरीदपुर में डीएपी की कालाबाजारी, महिलाएं भी लाइन में घंटों लगी रहीं
फरीदपुर- आलू और गेहूं की बुवाई को लेकर डीएपी 1350 रुपये प्रति बैग मिल रहा है। वहीं ब्लैक में दुकानदार 1400 एवं 1450 ताकि कीमत वसूल रहे हैं। किसान खाद की किल्लत को लेकर शुक्रवार को सुबह से ही खाद क्रय केंद्रों पर डेरा जमा कर बैठ गए यहां तक घर की महिलाएं और बेटियों को भी आज के लिए लाइन में लगना पड़ा। भीड़ इतनी पहुंच गई कि काठगोदाम के कर्मचारियों को डायल 112 पर फोन कर पुलिस बुलानी पड़ी। उसके बाद स्थानीय पुलिस को फोन किया, तब चीता गाड़ी पहुंची। इसके बाद पुलिस की निगरानी में खाद वितरित की गई।
भुता में गोदाम पर नहीं खाद, किसान बेहद परेशान
भुता- ब्लॉक के किसी भी गोदाम पर खाद उपलब्ध नहीं होने से किसान परेशान हैं। गुरुवार को साधन सहकारी समिति पर मात्र एक ट्रक खाद आई थी। सचिव केपी गंगवार ने बताया कि क्षेत्र के किसानों को खाद वितरित कर दी गई। ऐसे में शुक्रवार को आधे किसान बिना खाद लिए ही वापस लौट गए।
उनका कहना है कि सरकार किसानों को गेहूं बुवाई के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्य उपलब्ध नहीं करा पा रही है। एक ओर बेमौसम बारिश ने किसानों के धान की फसल चौपट कर दी है। दूसरी और अब उन्हें समय पर गेहूं बुवाई के लिए खाद नहीं मिल पा रही है। जिसको लेकर किसानों में भारी त्राहि-त्राहि मची हुई है। साधन सहकारी समिति कुआंडांडा के सचिव केशव कुमार सक्सेना ने बताया कि रैक लगने पर ही खाद गोदाम पर आएगी। उसके बाद ही क्षेत्र के किसानों को खाद शीघ्र वितरित की जाएगी।
खाद के लिए महिलाओं और बेटियों को लाइन में लगा रहे किसान
मीरगंज- डीएपी के लिए हो रही मारा-मारी से निजात पाने को अब किसान परिवार की महिलाओं और बेटियों को भी लाइन में खड़ा कर रहे हैं। इफको किसान सेवा केंद्र पर एक ऐसी ही लाइन खाद लेने के लिए आई महिलाओं और युवतियों की लगी थी। बताया गया कि क्षेत्र में डीएपी की रैक आने के बाद इफको किसान सेवा केंद्र पर किसान खाद लेने के लिए सुबह 5 बजे से लाइनों में लग जाते हैं।
घंटों के इंतजार के बाद उन्हें सिर्फ आधार कार्ड पर एक बोरी डीएपी बमुश्किल मिलती है। शुक्रवार को तो तो केंद्र संचालक द्वारा धीमी गति से खाद बांटने पर झगड़ा हो गया। जिसके चलते केंद्र संचालक को पुलिस बुलानी पड़ी। जांच में यह भी पता चला कि खाद के एक बैग के साथ अलग से एक नैनो यूरिया की शीशी भी दी जा रही है।
गेहूं बीज की अनुदान राशि पाने को भटक रहे किसान
मीरगंज- राजकीय कृषि बीज गोदाम से पिछले वर्ष रबी सीजन में सैकड़ों किसानों ने गेहूं का बीज खरीदा था लेकिन अधिकतर किसानों के गेहूं के बीज का अनुदान आज तक बैंक खाते में नहीं आया। गांव फिरोजपुर के राशिद हुसैन आदि किसानों ने बताया कि कृषि बीज भंडार से वर्ष 2021 में अनुदानित गेहूं बीज खरीदा था।
जिसमें ब्लॉक के अधिकारियों ने खरीद दर से आधी धनराशि का अनुदान किसानों के बैंक खाते में भेजे जाने का आश्वासन दिया था। एक वर्ष बीत जाने बाद भी बैंक खातों में अनुदान की राशि न भेजे जाने से किसान ब्लॉक पर कृषि विभाग के अधिकारियों का चक्कर लगा रहे हैं। कृषि बीज गोदाम मीरगंज प्रभारी ज्ञानेंद्र प्रताप ने बताया कि जिन्हें गेहूं बीज के अनुदान का पैसा अभी तक नहीं मिला है उनका पोर्टल पर डाटा चेक किया जा रहा है। अगले हफ्ते तक मिल जायेगा।
दो दिन में खाद पहुंचने की उम्मीद है
शेरगढ़- ब्लाक की साधन सहकारी समितियों पर डीएपी उर्वरक पहुंचने लगी है। दो दिन पूर्व शाहपुर बांसखेड़ा, नगरिया सोबरनी, दुनका समिति पर पहुंची खाद का वितरण हो गया है। जबकि नगरिया कलां में आज शुक्रवार को खाद का वितरण किया गया। गुलड़िया कलां साधन सहकारी समिति पर शुक्रवार को उर्वरक पहुंची है। एडीसीओ छत्रपाल सिंह ने बताया कि समितियों पर उर्वरक पहुंचना शुरू हो गया है। दो दिन में ब्लाक की सभी समितियों पर पर्याप्त खाद पहुंचने की उम्मीद है।
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