CSU: विदेशों में ज्योतिष और वेद पढ़ाएगा संस्कृत विश्वविद्यालय, महाकुंभ के दौरान विदेशी नागरिकों और शिक्षकों ने किया था मांग

CSU: विदेशों में ज्योतिष और वेद पढ़ाएगा संस्कृत विश्वविद्यालय, महाकुंभ के दौरान विदेशी नागरिकों और शिक्षकों ने किया था मांग

लखनऊ, अमृत विचार: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय अब विदेशों में भी वेद, ज्योतिष, वेदांत, मिमांशा और व्याकरण बढ़ाएगा। इसके लिए विदेश के विश्वविद्यालयों में संस्कृत विश्वविद्यालय अपनी शाखाएं खोलेगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। शाखाएं खोलने की शुरुआत अमेरिका, ब्रिटेन और खाड़ी देशों के विश्वविद्यालय से की जाएगी। महाकुंभ में आए विदेश सनातन, संस्कृत और संस्कृति से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने देशों में संस्कृत विवि की शाखा खोलने की मांग की थी।

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि देश के तीन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों के बीच समझौता ज्ञापन हुआ है। इसका उद्देश्य सनातन सभ्यता और इस क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देना है। अमेरिका, ब्रिटेन, अरब देशों के विश्वविद्यालयों से बातचीत शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि संस्कृत विवि के लखनऊ परिसर में वैदिक साहित्य और ज्योतिष से संबंधित कई तरह के पाठ्यक्रम संचालित हैं। ऑनलाइन माध्यम से भी डिप्लोमा कोर्स शुरू किए गए हैं। यहां विदेश के स्टूडेंट्स भी पढ़ाई करते हैं। वैदिक साहित्य और सनातन संस्कृति से जुड़े पाठ्यक्रमों में शोध हो इसके लिए अलग-अलग देशों के शिक्षण संस्थानों के साथ मिलकर सनातन, वेद व ज्योतिष कैंपस खोले जाएंगे।

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विदेशों में इन विषयों की होगी पढ़ाई

महाकुंभ के दौरान कई देश के नागरिकों और शिक्षकों ने भारतीय दर्शन, संस्कृत और संस्कृति की पढ़ाई विदेशों में आरंभ करने की मांग की थी। जिसे लेकर विश्वविद्यालय ने यह पहल किया है। विदेशों में ज्योतिष, वेद, धर्मशास्त्र, मनुस्मृति समेत कई अन्य विषयों में स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई के साथ शोध भी होंगे। मीमांसा और वेदांत, प्रणेता कपिल, पतंजलि, गौतम, कणाद, जैमिनी और बादरायण व अन्य महान ऋषियों के बारे में जानकारी मिलेगी।

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