बरेली: उर्वरा शक्ति खो रही नाथ नगरी की धरती, आर्गेनिक कार्बन की मात्रा घटकर न्यूनतम स्तर पर पहुंची, हर साल हो रही गिरावट

अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार।  नाथ नगरी बरेली में खेती योग्य जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा लगातार कम होने से फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साल दर साल गिरावट दर्ज की जा रही है। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। …

अनुपम सिंह, बरेली, अमृत विचार।  नाथ नगरी बरेली में खेती योग्य जमीन की उर्वरा शक्ति क्षीण हो रही है। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा लगातार कम होने से फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। साल दर साल गिरावट दर्ज की जा रही है। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। ये आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। किसानों की ओर से मिट्टी का सैंपल लेकर कराई गई जांच में इसका खुलासा हुआ है।

खेत की मिट्टी किस प्रकार की है, उसकी क्षमता किस स्तर पर है आदि बिंदुओं पर जानकारी के लिए केंद्र सरकार की ओर से सॉइल हेल्थ कार्ड स्क्रीम (मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना) शुरू की गई थी। इस योजना के तहत विभाग किसानों के खेत की मिट्टी का सैंपल लेकर उसकी जांच कराता है। इसके बाद आई रिपोर्ट के आधार पर कार्ड बनाकर किसानों को देता है, जिसमें मिट्टी की प्रकार, स्तर की पूरी जानकारी होती है, लेकिन पिछले दो सालों से जिले में मिट्टी की जांच की प्रक्रिया बंद चल चल रही है।

हालांकि, विभाग की ओर से भले ही मिट्टी की जांच नहीं कराई जा रही है, लेकिन इसके बाद भी जागरूक किसान अपने खेतों की मिट्टी का सैंपल जांच के लिए क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला बिलवा लेकर आते हैं, जहां पर जांच की जाती है। हालांकि, जांच के बाद जो रिपोर्ट आ रहीं हैं, वह किसानों के लिए चिंता का विषय हैं। रिपोर्ट में मिट्टी की उर्वरा शक्ति (जिसकी उत्पादन शक्ति बहुत अच्छी हो) ठीक नहीं पाई गई है। रिपोर्ट में आर्गेनिक कार्बन घटकर 0.2 रह गया है, जबकि कभी 0.8 से लेकर 0.7 तक रहता है। अचानक 0.6 तक मात्रा कम होना खेती के लिए लाभदायक नहीं कहा जा सकता।

इसलिए कमजोर हो रही मिट्टी की सेहत

कृषि से जुड़े जानकारों के अनुसार, आधुनिकता के दौर किसान भी हाईटेक होते जा रहे हैं। इसके लिए वह जैविक खादाें की ओर ध्यान नहीं दे रहे है। फसलों के अधिक पैदावार के लिए वह डीएपी, यूरिया, पोटास आदि खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, जमीन में नमक की मात्रा भी बढ़ती जा रही है। खेती में रासायनिक खाद, कीटनाशक व खरपतवार नाशक दवाओं के अधिक इस्तेमाल भी एक बड़ा कारण है। इनके बेतहाशा वृद्धि करने से इसका प्रतिकूल असर खेत की मिट्टी पर पड़ता है, जिससे उपजाऊ मिट्टी की सेहत कमजोर होती जा रही है।

उर्वरा शक्ति को ऐसे रखें बरकरार

मिट्टी की उर्वरा शक्ति का कमजोर होना किसानों के लिए अच्छी बात नहीं है। इसका असर सभी को प्रभावित कर सकता है। कार्बनिक पदार्थ कम हो रहा है। ऐसे में मिट्टी की सेहत को बचाए रखने के लिए किसानों को खेतों में देसी (घूर) की खाद, केंचुआ खाद, हरी खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। जैविक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी में सुधार आएगा।

ऐसा न करें किसान

  • खेतों में पराली को कभी न जलाएं, इससे भूमि के कीट मित्र मर जाते हैं।
  • कृषि वैज्ञानिकों से मिट्टी की नियमित जांच कराते रहें।
  • कीटनाशक, खरपतवार का प्रयोग कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर करें।
  • रसायनिक खादों की जगह बायो और जैविक खाद का ही इस्तेमाल करें।

इन पैरामीटर पर होती हैं जांचें

क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला बिलवा के लैब इंचार्ज के अनुसार, मुख्य पोषक तत्व में छह, शुष्क व द्वितीय पोषक तत्वों में 12 पैरामीटर में जांच होती है। मुख्य पोषक तत्व में ईसी, पीएच, जीवांश कार्बन, नाइट्रोजन, पोटास की जांच होती है, जबकि 12 शुष्क पोषक तत्व में जिंक, फेरस, मैगजीन, कॉपर, बोरान आदि जांचें की जाती है।

जीवांश कार्बन की स्थिति अच्छी नहीं

लैब से मिली जानकारी के अनुसार, ज्यादातर सैंपल में ईसी (विद्युत चालकता), पीएच (अम्ल अनुपात) भी सामान्य है, लेकिन जीवांश कार्बन की स्थिति अच्छी नहीं है। जीवांश कार्बन ही मिट्टी को उपजाऊ बनाता है, इसमें चार कैटेगरी होती हैं। हाई, मीडियम, वेरी लो, लो। चिंता की बात है कि सभी रिपोर्ट वेरी लो और लो ही आ रही हैं।

दो सालों से जांच का कोई लक्ष्य नहीं मिला है। किसान खुद सैंपल लेकर जांच कराने आते हैं। रिपोर्ट में जीवांश कार्बन की स्थिति ठीक नहीं है, इसी से मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच होती है। रिपोर्ट को देख किसान को खेत की मिट्टी सुधारने के तरीके बताए जाते हैं। कौन सी फसल बोना सही रहेगा, इसकी भी जानकारी दी जाती है। किसान जैविक खादों का प्रयोग अधिक करें। – देवेंद्र पाल गंगवार, लैब इंचार्ज क्षेत्रीय भूमि परीक्षण बिलवा

165 सैंपल लिए जिले में अप्रैल से लेकर अब तक

12 पैरामीटर 6 पैरामीटर में मिट्टी की जांचें होती है

29 रुपये शुल्क है मुख्य पोषक तत्वों की जांच का

102 रुपये पड़ते हैं शुष्क और द्वितीय पोषक तत्वों की जांच के

02 दिन में मुख्य पोषक तत्वों की जांच रिपोर्ट मिल जाती है

04 से 05 दिन लग जाते हैं शुष्क पोषक तत्वों की जांच रिपोर्ट आने में

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